उत्तराखंड सरकार के लिए खतरनाक झटका, 700 करोड़ की परियोजना खारिज
By Kamakshi Sharma | News | May 20, 2018
एकीकृत औद्यानिकी विकास 700 करोड़ की परियोजना जो उत्तराखंड राज्य के लिए मंजूरी की गयी थी उससे केंद्र ने इन्कार कर दिया है। ऐसा होने से राज्य सरकार को एक बड़ा झटका लगा है।
इस परियोजना को खारिज करने की मुख्य कारण कृषि विभाग की ओर 600 करोड़ का प्रस्ताव अलग से केंद्र को भेजना गया है। इस प्रस्ताव के उपर केंद्र ने आपत्ति जताई है और साथ ही इस प्रस्ताव को खारिज क्र दिया गया|
फसलों का उत्पादन बढ़ा कर किसानों की आय को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से 700 करोड़ के औद्यानिकी विकास परियोजना को मंजूरी मिली थी। सरकार का मानना है कि इस परियोजना लागू होने के बाद प्रदेश में औद्यानिकी फसलों का उत्पादन बढेगा और किसानों की आय में भी फायदा होगा।
उद्यान विभाग के माध्यम से परियोजना की डीपीआर बना कर केंद्र को भेजी। इसी बीच कृषि विभाग ने ओर से अलग से 600 करोड़ का प्रस्ताव बना कर केंद्र को भेजा गया। इस पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आपत्ति जताते हुए औद्यानिकी विकास परियोजना को खारिज कर दिया।
राज्य सरकार के द्वारा केंद्र को भेजी गई औद्यानिकी विकास परियोजना की DPR में बागवानी फसलों के साथ साथ सब्जी, मसाला, पुष्प, मशरूम, मौनपालन, जड़ी-बूटी, सगंध पादप (ऐरोमेटिक), चाय उत्पादन के अलावा आधारभूत सुविधाओं का विकास, आधुनिक तकनीकी के लिए किसानों को प्रशिक्षण आदि को शामिल किया गया। इसमें उद्यान विभाग के माध्यम से विभाग वार कार्ययोजना बनाई गई। राज्य सरकार को पूरी उम्मीद थी कि डीपीआर भेजने के बाद केंद्र से परियोजना के लिए स्वीकृत राशि शीघ्र जारी होगी। जिसके बाद परियोजना को प्रदेश में लागू किया जाएगा।
केंद्र सरकार का कहना यह है कि कृषि विभाग के लिए अलग से कोई भी परियोजना स्वीकृत नहीं होगी। कृषि विभाग के प्रस्ताव को भी औद्यानिकी परियोजना में शामिल कर संशोधित DPR बनाकर भेजें। अब राज्य सरकार की ओर से नए सिरे से DPRबनाकर केंद्र को भेजी जाएगी।
इस परियोजना को खारिज करने की मुख्य कारण कृषि विभाग की ओर 600 करोड़ का प्रस्ताव अलग से केंद्र को भेजना गया है। इस प्रस्ताव के उपर केंद्र ने आपत्ति जताई है और साथ ही इस प्रस्ताव को खारिज क्र दिया गया|
फसलों का उत्पादन बढ़ा कर किसानों की आय को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से 700 करोड़ के औद्यानिकी विकास परियोजना को मंजूरी मिली थी। सरकार का मानना है कि इस परियोजना लागू होने के बाद प्रदेश में औद्यानिकी फसलों का उत्पादन बढेगा और किसानों की आय में भी फायदा होगा।
उद्यान विभाग के माध्यम से परियोजना की डीपीआर बना कर केंद्र को भेजी। इसी बीच कृषि विभाग ने ओर से अलग से 600 करोड़ का प्रस्ताव बना कर केंद्र को भेजा गया। इस पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आपत्ति जताते हुए औद्यानिकी विकास परियोजना को खारिज कर दिया।
राज्य सरकार के द्वारा केंद्र को भेजी गई औद्यानिकी विकास परियोजना की DPR में बागवानी फसलों के साथ साथ सब्जी, मसाला, पुष्प, मशरूम, मौनपालन, जड़ी-बूटी, सगंध पादप (ऐरोमेटिक), चाय उत्पादन के अलावा आधारभूत सुविधाओं का विकास, आधुनिक तकनीकी के लिए किसानों को प्रशिक्षण आदि को शामिल किया गया। इसमें उद्यान विभाग के माध्यम से विभाग वार कार्ययोजना बनाई गई। राज्य सरकार को पूरी उम्मीद थी कि डीपीआर भेजने के बाद केंद्र से परियोजना के लिए स्वीकृत राशि शीघ्र जारी होगी। जिसके बाद परियोजना को प्रदेश में लागू किया जाएगा।
केंद्र सरकार का कहना यह है कि कृषि विभाग के लिए अलग से कोई भी परियोजना स्वीकृत नहीं होगी। कृषि विभाग के प्रस्ताव को भी औद्यानिकी परियोजना में शामिल कर संशोधित DPR बनाकर भेजें। अब राज्य सरकार की ओर से नए सिरे से DPRबनाकर केंद्र को भेजी जाएगी।