banner ad

A Breif Knowledge of Social Reformer Raja Ram Mohan Roy

By Kamakshi Sharma | History | May 18, 2018
राजा राममोहन राय की वैचारिकता के सैकड़ों उदाहरण हमारे इतिहास में दर्ज हैं। आज के समय में 'आधुनिक भारतीय समाज का जन्मदाता' पंडित राजा राममोहन राय  को  कहा जाता है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक थे| वे रू‍ढ़िवाद और कुरीतियों के विरोधी थे लेकिन संस्कार, परंपरा और राष्ट्र गौरव उनके दिल के करीब थे। राजा राम मोहन राय ने तत्कालीन भारतीय समाज की कट्टरता, रूढ़िवादिता एवं अंध विश्वासों को दूर करके उसे आधुनिक बनाने का प्रयास किया।

कुरीतियों का विरोध



राममोहन राय ने अपने राष्ट्र की सेवा के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी छोडी। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए भी वे लड़ाई लड़ रहे थे। साथ ही अपने ही देश के नागरिक जो अंधविश्वास और कुरीतियों में जकड़े थे। राजा राममोहन राय ने उन्हें झकझोरने का काम किया। राममोहन राय ने बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का बहुत विरोध किया।

ब्रह्मसमाज की स्थापना



राजा राममोहन राय आधुनिक शिक्षा का समर्थन करते थे| 'यूनीटेरियन एसोसिएशन' शरुआत की 1821 में राममोहन राय ने की। हिन्दू समाज की बुराइयों के घोर विरोधी होने के कारण राममोहन राय ने 1828 में 'ब्रह्म समाज' नामक एक समाज की शरुआत की। 1805 में राजा राममोहन राय ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को join किया और 1814 तक उन्होंने में इसी कार्य किया। 20 अगस्त, 1828 में राजा राममोहन राय ने ब्रह्मसमाज को स्थापित किया।

हिन्दू कॉलेज की स्थापना में योगदान



राजा राममोहन राय अपने समय के सबसे बड़े प्राच्य भाषों के ज्ञाता थे। उनका कहना था कि भारत की प्रगति केवल उदार शिक्षा के द्वारा ही हो सकती है, जिसमें कुछ पाश्चात्य विद्या तथा ज्ञान की सभी शाखाओं काशिक्षण व हो। राजा राममोहन राय उन लोगों को पूरा समर्थन किया, जिन्होंने अंग्रेज़ी भाषा तथा पश्चिमी विज्ञान के अध्ययन का भारत में आरम्भ किया|

धार्मिक सुधारक



राजा राममोहन राय एक धार्मिक सुधारक भी थे। मुसलमान उन्हें मुसलमान समझते थे, ईसाई उन्हें ईसाई समझते थे, अद्वैतवादी उन्हें अद्वैतवाती मानते थे तथा हिन्दू उन्हें वेदान्ती मानते थे। राजा राममोहन राय सब धर्मों की मौलिक सत्यता तथा एकता में विश्वास करते थे।

जन्म



22 मई, 1772 ई. को राधा नगर नामक बंगाल के एक गाँव में राजा राममोहन राय का जन्म हुआ था| पुराने राजा राममोहन राय अपने जीवन में अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी, ग्रीक, हिब्रू आदि भाषाओं का गहन अध्ययन किया था। हिन्दू, ईसाई, इस्लाम और सूफी धर्म का भी उन्होंने बहुत अध्ययन किया था। 17 वर्ष की आयु से ही वे मूर्ति पूजा विरोधी थे। वे अंग्रेज़ी भाष से काफ़ी प्रभावित थे। इसीलिए उन्होंने इंग्लैंड की यात्रा की।

राजा राममोहन राय ने समाचार पत्रों की स्वतंत्रता के लिए भी बहुत संघर्ष किया था। राजा राममोहन राय ने खुद एक बंगाली पत्रिका 'सम्वाद-कौमुदी' आरम्भ की यह पत्रिका सबसे पुरानी पत्रिकाओं में से एक थी। उन्होंने 1833 ई. के समाचारपत्र नियमों के विरुद्ध प्रबल आन्दोलन चलाया। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को एक स्मृति-पत्र दिया, जिसमें उन्होंने समाचार पत्रों की स्वतंत्रता के लाभों पर अपने विचार प्रकट किए थे। समाचार पत्रों की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा चलाये गये आन्दोलन के द्वारा ही 1835 ई. में समाचार पत्रों की अज़ादी के लिए मार्ग बना।

सती प्रथा हटाने को आन्दोलन



राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा का निवारण करके अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की। उन्होंने अपने प्रयासों के द्वारा सरकार से इस कुप्रथा को ग़ैर-क़ानूनी दंण्डनीय घोषित करवाया। इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए उन्होंने काफी आन्दोलन किये यह आन्दोलन समाचार पत्रों तथा मंच दोनों माध्यमों से चला। इसका विरोध इतना अधिक हुआ कि एक अवसर पर तो उनका जीवन ही खतरे में था। लॉर्ड विलियम बैंण्टिक 1829 में सती प्रथा को बन्द कराने में समर्थ हुए।

विदेश में प्रथम भारतीय



अपने इंग्लैंड प्रवास काल(1831 से 1834 तक ) में राममोहन ने ब्रिटिश भारत की प्राशासनिक पद्धति में सुधार करने के लिए बहुत आन्दोलन किये। ब्रिटिश संसद के द्वारा भारतीय मामलों पर परामर्श लिए जाने वाले वे प्रथम भारतीय थे।

उपाधियॉ



1)आधुनिक भारत का जनक

2)आधुनिक भारत का निर्माता

3)आधुनिक भारत का युगदुत

4)भारतीय पुर्नजागरण का जनक

5)भारत का पहला सविधान सुधारक

 

मृत्यु



राजा राममोहन राय की समाधि ब्रिटेन के ब्रिस्टल नगर के आरनोस वेल क़ब्रिस्तान में है। 27 सितंबर 2013 को उनकी 180वीं पुण्यतिथि थी। बहुत ही कम लोगों को ज्ञात होगा कि यात्रा के मध्य मेनिनजाईटिस हो जाने के कारण यहाँ ब्रिटेन में ही उनका अप्रत्याशित निधन हो गया था।

राजा राम मोहन राय के विषय में परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्तपूर्ण प्रशन:-




  •  राजा राम मोहन राय का जन्म स्थान कहा है?



ANS) 1774 ई० मे राधानगर गॉव जिला नदिया ( बंगाल )


  •  राजा राम मोहन राय ने अपना गुरू किसे बनया था ?



ANS) जर्नी बेन्थम


  •  राजा राम मोहन राय किस कुप्रथा के विरोधी थे?



ANS) सती प्रथा


  •  राजा राम मोहन राय के द्वारा आत्मीय सभा की शरुआत कब की ?



ANS) 1814 ई० मे


  •  English school की स्थापना हुई थी ?



ANS) 1817 ई० मे


  • वेदांत कॉलिज की स्थापना हुई थी ?



ANS) 1825 ई० मे


  •  ब्रहम समाज की स्थापना हुई थी ?



ANS) 1828 ई० मे


  • विलियम बेनटिक की सहायता से राजा राम मोहन राय ने सति प्रथा पर रोक कब लगायी ?



ANS) 1829 ई० मे


  •  राजा की उपाधि राजा राम मोहन राय को किसने तथा कब दी ?



ANS) अकबर द्वितीय ने 1830 ई० मे


  •  समुद्री यात्रा करने वाला सर्वप्रथम भारतीय कौन था ?



ANS) राजा राम मोहन राय ने


  •  राजा राम मोहन राय ने मिरातुल उल अखबार किस भाषा में लिखा था?



ANS) फारसी भाषा मे


  •  संवाद कौमुदी की रचनाकार थे ?



ANS) राजा राम मोहन राय ने


  •  राजा राम मोहन की मृत्यु के बाद ब्रहम समाज का नेतृत्व किसके द्वारा किया गया ?



ANS) द्वारिका नाथ टैगोर ने

other important link:-



Most Important 50 Indian History GK Question for SSC, CGL, CHSL

History Important Questions for SSC -CGL/CHSL Exam 2018 -History GK Quiz

Indian Constitution GK Questions Answers in Hindi for NDA Exam

 

 
banner ad

Share this Post

(इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले)

Posts in Other Categories

Get Latest Update(like G.K, Latest Job, Exam Alert, Study Material, Previous year papers etc) on your Email and Whatsapp
×
Subscribe now

for Latest Updates

Articles, Jobs, MCQ and many more!