Child Development Concept Notes For CTET & State TET Exam 2018
By Kamakshi Sharma | UPTET | Oct 05, 2018
Development of Language in Children
बालक के विकास के बहुत सारे आयाम होते हैं भाषा का विकास भी उन्हें आयामों में से एक आयाम माना जाता है| भाषा को भी अन्य कौशल की तरह ही अर्जित किया जाता है इस आयामको अर्जन करने का कार्य बच्चे के जन्म के बाद ही शुरू हो जाता है जैसे- अनुकरण, वातावरण के साथ अनुक्रिया , शारीरिक सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक जरूरतों की मांग करना एवं उनकी पूर्ति करना इसमें विशेष भूमिका निभाते हैं|
Intial Stage Of Language Development
भाषा विकास की प्रारंभिक अवस्था में एक तरह से बालक धावयनात्मक संकेत से अपनी भाषा को समझाने के लिए दूसरे को प्रेरित करता है इसे निम्न प्रकार की क्रियाओ के रूप में बताया गया है-
1. सबसे पहले चरण के रूप में बालक जन्म लेते ही रोने चिल्लाने का चिल्लाने की एक चेष्टा करता है धीरे धीरे रोने और चिल्लाने के साथ वह अलग धवनियो आती है चिल्लाने के साथ साथ ही वह और अलग धमनियों का भी प्रयोग करने लगता है यह ध्वनियां स्वचलित एवं स्वाभाविक होती हैं इन्हें सीखा नहीं जाता है |
2 . रोने तथा चिल्लाने की चेष्टा के बाद बालक के अंदर कुछ बड़बडाआने की क्रिया तथा चेष्टा शुरू होती है इस क्रिया के माध्यम से बालक स्वर तथा व्यंजन के अभ्यास का अवसर पाता है यदि वे कुछ भी दूसरे से सुनते हैं और जैसा ही उनकी समझ में आता है वह उसे किसी न किसी रूप में अपने माध्यम से दोहराने लगते है|
- हांव भाव तथा इशारो की भाषा भी हाव भाव तथा इशारों की भाषा भी बालकों को धीरे धीरे समझ आने लगती है इस अवस्था में प्राय स्वर व्यंजन धवनियो को निकालकर अपने हाव-भाव की पूर्ति करते हुए दिखाई देते हैं|
भाषा विकास की वास्तविक अवस्था प्रारंभिक अवस्था को भाषा सीखने के लिए तैयारी की अवस्था कहां जाता है इस अवस्था से गुजरने के बाद बालकों में वास्तविक भाषा विकास का कार्य प्रारंभ होता है जिसे भाषा विकास की वास्तविक अवस्था कहां जा सकता है बालक के 1 वर्ष हो जाने के बाद से ही यह शुरू हो जाती है बालक पहले मौखिक अभिव्यक्ति के रूप में भाषा का विकास करता है वह शब्दों वाक्य तथा भाषा को बोलना और समझना सीखता है| विद्यालय में प्रवेश करने तथा लिखित भाषा की शिक्षा ग्रहण करने के फलस्वरूप उसने पढ़ने लिखने संबंधी कुशलता ओं का विकास भी प्रारंभ हो जाता है इस तरह भाषा के मौखिक एवं लिखित रूप से संबंधित विभिन्न कौशलों के अर्जन के विकास में धीरे धीरे बालक के कदम आगे बढ़ते जाते हैं| भाषा के सीखने के क्रम में सबसे पहले मौखिक शब्दावली का विकास होता है उसके बाद उसने मौखिक अभिव्यक्ति या वाक्य शक्ति का विकास होता है इसके बाद उसने पढ़ने संबंधित योग्यताएं अभिव्यक्ति का विकास होता है| भाषा के सीखने के क्रम में बालक में सबसे पहले मौखिक शब्दावली का विकास होता है ,शब्दावली के विकास के बाद उसमे वाक् शक्ति का विकास होता है| फिर उसमे पढ़ने सम्बंधित योग्यता का विकास होता है | भाषा के सीखने के क्रम में बालक में सबसे पहले मौखिक शब्दावली का विकास होता है ,शब्दावली के विकास के बाद उसमे वाक् शक्ति का विकास होता है| फिर उसमे पढ़ने सम्बंधित योग्यता का विकास होता है | बालक के भाषा विकास में उस भाषा से सम्बंधित शब्द तथा शब्द का भंडार बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है | शब्दों से ही आगे जाकर वाक्य बनते है और वाक्यों से ही भाषा का निर्माण होता है|