Mamata Banerjee Biography - in Hindi
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ममता बनर्जी: जनता की दीदी
ममता बनर्जी एक जानी-मानी भारतीय राजनेता हैं और पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। वह 2011 से लगातार इस पद पर बनी हुई हैं। उन्हें उनके समर्थक प्यार से "दीदी" कहकर बुलाते हैं। वह ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (TMC) की संस्थापक और प्रमुख नेता हैं। साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आने वाली ममता ने जमीनी संघर्षों के ज़रिए अपनी पहचान बनाई। सादगी, आत्मनिर्भरता और ताकतवर राजनीतिक ताकतों के खिलाफ डटकर खड़े रहने के लिए जानी जाती हैं। उनके नेतृत्व ने पश्चिम बंगाल की राजनीति को एक नया आकार दिया है।
Name |
Mamata Banerjee |
Image |
|
Caption |
Mamata Banerjee in 2021 |
Birth Name |
Mamata Banerjee |
Birth Date |
January 5, 1955 |
Birth Place |
Kolkata (Calcutta), West Bengal, India |
Nationality |
Indian |
Citizenship |
Indian |
Other Names |
Didi (affectionately known) |
Education |
B.A. in History, M.A. in Islamic History, B.Ed., LL.B. |
Alma Mater |
University of Calcutta |
Occupation |
Politician, Writer, Artist |
Years Active |
1970s–present |
Known For |
First Woman Chief Minister of West Bengal |
Notable Works |
Land Rights Movement in Singur and Nandigram, Ma Mati Manush |
Spouse(s) |
Unmarried |
Parents |
Promileswar Banerjee (father), Gayetri Devi (mother) |
Website |
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता (पहले का नाम कलकत्ता), पश्चिम बंगाल में हुआ था। वे एक निम्न-मध्यम वर्गीय बंगाली ब्राह्मण परिवार से थीं। बचपन से ही उन्होंने सामाजिक असमानता और राजनीतिक अस्थिरता को देखा, जिसने उनकी राजनीतिक सोच को आकार दिया।
उनके पिता प्रोमिलेश्वर बनर्जी स्वतंत्रता सेनानी थे। पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां गायत्री देवी ने ममता और उनके भाई-बहनों की परवरिश की। आर्थिक तंगी के बावजूद ममता पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं और उन्हें राजनीति और साहित्य में रुचि थी।
उन्होंने जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री ली और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से इस्लामिक इतिहास में स्नातकोत्तर (M.A.) किया। इसके अलावा उन्होंने B.Ed और LLB की डिग्रियाँ भी हासिल कीं।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
ममता बनर्जी ने 1970 के दशक में राजनीति की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से की। उनका जोशीला अंदाज़ और जमीनी जुड़ाव जल्दी ही वरिष्ठ नेताओं की नज़रों में आया। 1984 में उन्होंने जादवपुर लोकसभा सीट से वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी को हराया और सबसे युवा सांसदों में शामिल हो गईं।
उन्होंने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में काम किया जैसे:
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युवा मामलों और खेल मंत्रालय
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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
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रेल मंत्रालय
तृणमूल कांग्रेस की स्थापना
1997 में कांग्रेस पार्टी और बंगाल में वामपंथी दलों के प्रभुत्व से असंतुष्ट होकर ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (AITC या TMC) की स्थापना की। उन्होंने "माँ, माटी, मानुष" के नारे के साथ आम जनता का समर्थन हासिल किया।
बड़े जन आंदोलनों में भागीदारी
सिंगूर आंदोलन (2006)
ममता ने किसानों की ज़मीन को ज़बरन अधिग्रहण के खिलाफ 25 दिन की भूख हड़ताल की। यह टाटा नैनो प्रोजेक्ट के खिलाफ था।
नंदीग्राम आंदोलन (2007)
ममता ने स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) के लिए ज़मीन अधिग्रहण का विरोध किया। इस आंदोलन में हिंसक झड़पें हुईं और कई लोग मारे गए।
1993 कोलकाता गोलीकांड
मतदाता पहचान पत्र अनिवार्य करने की मांग को लेकर एक प्रदर्शन में पुलिस ने गोली चला दी जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई। इसे हर साल 21 जुलाई को 'शहीद दिवस' के रूप में मनाया जाता है।इन सभी आंदोलनों ने ममता को किसानों की पक्षधर और जमीनी नेता के रूप में स्थापित कर दिया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री
2011 में TMC ने विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल की और 34 साल पुराने वाम मोर्चा के शासन को खत्म कर ममता बनर्जी पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
फिर उन्होंने:
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2016 में दोबारा जीत दर्ज की
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2021 में बीजेपी के खिलाफ जोरदार मुकाबला जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाई (हालाँकि नंदीग्राम से चुनाव हार गईं, लेकिन बाद में भवानीपुर से उपचुनाव जीतकर फिर से विधानसभा पहुंचीं)
उनकी सरकार की प्रमुख योजनाएँ:
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कन्याश्री, रूपश्री, सबूज सathi जैसी सामाजिक योजनाएँ
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ग्रामीण विकास और बिजलीकरण
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महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाएँ
2021 का चुनाव नारा था: "बंगाल निजेर मेयेकेई चाए" यानी बंगाल को अपनी बेटी ही चाहिए।
व्यक्तिगत जीवन
ममता बनर्जी ने विवाह नहीं किया और अपना जीवन जनसेवा को समर्पित कर दिया है। वे सादगीपूर्ण जीवन जीती हैं – सूती साड़ी पहनती हैं, खुद का बैग उठाती हैं, और कई बार पैदल ही कार्यक्रमों में पहुंचती हैं।
उनकी रुचियाँ:
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लेखन: 20 से ज़्यादा किताबें लिख चुकी हैं
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चित्रकला: उनकी कई पेंटिंग नीलामी में बेची जा चुकी हैं
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संगीत: भजन और गीत लिखने व कंपोज़ करने की शौकीन हैं
समाजसेवा और जनकल्याण
ममता ने कई समाजसेवी कार्यों को बढ़ावा दिया है, जैसे:
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महिलाओं का सशक्तिकरण
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छात्राओं के लिए स्कॉलरशिप
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किसानों और मज़दूरों के लिए पेंशन योजनाएँ
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बाढ़ और चक्रवात में राहत कार्य
विरासत
ममता बनर्जी का जीवन संघर्ष और सादगी की मिसाल है। "दीदी" के नाम से प्रसिद्ध, उन्होंने बंगाल के कलिघाट की गलियों से निकलकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक का सफर साहस और सेवा से तय किया। वे साबित करती हैं कि सच्ची ताकत किसी पद या विशेषाधिकार से नहीं, बल्कि इरादे से आती है।
सम्मान और पुरस्कार
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2011: TIME Magazine द्वारा "100 सबसे प्रभावशाली लोग"
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2012: Bloomberg द्वारा "विश्व के 50 प्रभावशाली लोग"
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2013: संयुक्त राष्ट्र सार्वजनिक सेवा पुरस्कार – कन्याश्री योजना के लिए
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2018: Skoch Chief Minister of the Year
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2021: Outlook People's Choice Award
लेखन और साहित्य
ममता बनर्जी द्वारा लिखी गई किताबें:
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My Unforgettable Memories – आत्मकथात्मक संस्मरण
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Struggle for Existence – उनके भाषणों का संग्रह
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উপলব্ধি (Upalabdhi) – बंगाली कविता संग्रह
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Slaughter of Democracy – भारतीय राजनीति पर टिप्पणियाँ
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Motherland – भारत पर कविता व विचार
ममता बनर्जी पर लिखी गई किताबें:
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Didi: A Political Biography – मोनबीना गुप्ता
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Mamata: The Real Untold Story – वाई. एस. राजन
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Mamata Banerjee: Her Life, Struggles & Rise to Power – नीलांजन मुखोपाध्याय
निष्कर्ष
ममता बनर्जी की कहानी एक साधारण लड़की से लेकर सत्ता के सर्वोच्च शिखर तक पहुँचने की प्रेरणादायक गाथा है। बंगाल की "दीदी", जिन्होंने राजनीति में आने वाली हर चुनौती का डटकर सामना किया, आज भी संघर्ष, साधनहीनता और जनसेवा का प्रतीक बनी हुई हैं।
उनकी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और सच्ची निष्ठा से किसी भी व्यवस्था को बदला जा सकता है – न केवल सत्ता में, बल्कि समाज की सोच में भी।