some useful information for patwari exam
By Vikash Suyal | Geography | Aug 14, 2015

खसरा :- कृषि सम्बंधित दस्तावेज जिसमे लेखपाल द्वारा प्रतिवर्ष कृषि संम्बंधित आकड़े दर्ज किये जाते हैं |
शजरा:- गावं के नक़्शे को कहा है, इसमें खेत एव जमीन की पटीयों का स्वामित्व के आधार पर विवरण होता हैं| भारत और पाकिस्तान में किसी गाँव के ऐसे नक़्शे को कहते हैं जिसका प्रयोग उस गाँव के खेतों या अन्य ज़मीन की पट्टीयों का कानूनी तौर पर स्वामित्व बताने के लिए और प्रशासनिक कार्यों के लिए होता है। गाँव का शजरा पूरे गाँव को ज़मीन की पट्टीयों में बांटता है और हर पट्टी को अपना अलग नंबर देता है। गाँव का पटवारी हर पट्टी के लिए एक ख़सरा भी रखता है जिसमें लिखा होता है कि उस पट्टी का मालिक कौन है और उसपर कौनसी फसलें उगाई जाती हैं।
खतोनी:- खसरो के आधार पर किसी व्यक्ति या परिवार की भूमि की सूची एव स्वामित्व का विवरण खतौनी कहलाता है इसमें तेरह खाने होते हैं , तथा इसको 6 वर्ष मे नवीनीकृत किया जाता है
दाखिल ख़ारिज : - इस प्रक्रिया के समय के भूस्वामी के नाम का परिवर्तन किया जाता है, जब भू स्वामी अपनी जमीन का विक्रय( बेचना) करता हैं|
खेवट :- इसका इस्तेमाल अब बंद हो गया हैं , इसका संबंध जमीदारी के रजिस्टरसे था |
चकबंदी:- चकबंदी वह विधि है जिसके द्वारा व्यक्तिगत खेती को टुकड़ों में विभक्त हाने से रोका एवं संचयित किया जाता है तथा किसी ग्राम की समस्त भूमि को और कृषकों के बिखरे हुए भूमिखंडों को एक पृथक् क्षेत्र में पुनर्नियोजित किया जाता है। भारत में जहाँ प्रत्येक व्यक्तिगत भूमि (खेती) वैसे ही न्यूनतम है, वहाँ कभी कभी खेत इतने छोटे हो जाते हैं कि कार्यक्षम खेती करने में भी बाधा पड़ती है। चकबंदी द्वारा चकों का विस्तार होता है, जिससे कृषक के लिये कृषिविधियाँ सरल हो जाती हैं और पारिश्रमिक तथा समय की बचत के साथ साथ चक की निगरानी करने में भी सरलता हो जाती है। इसके द्वारा उस भूमि की भी बचत हो जाती है जो बिखरे हुए खेतों की मेड़ों से घिर जाती है। अंततोगत्वा, यह अवसर भी प्राप्त होता है कि गाँव के वासस्थानों, सड़कों एवं मार्गों की योजना बनाकर सुधार किया जा सके।
शजरा:- गावं के नक़्शे को कहा है, इसमें खेत एव जमीन की पटीयों का स्वामित्व के आधार पर विवरण होता हैं| भारत और पाकिस्तान में किसी गाँव के ऐसे नक़्शे को कहते हैं जिसका प्रयोग उस गाँव के खेतों या अन्य ज़मीन की पट्टीयों का कानूनी तौर पर स्वामित्व बताने के लिए और प्रशासनिक कार्यों के लिए होता है। गाँव का शजरा पूरे गाँव को ज़मीन की पट्टीयों में बांटता है और हर पट्टी को अपना अलग नंबर देता है। गाँव का पटवारी हर पट्टी के लिए एक ख़सरा भी रखता है जिसमें लिखा होता है कि उस पट्टी का मालिक कौन है और उसपर कौनसी फसलें उगाई जाती हैं।
खतोनी:- खसरो के आधार पर किसी व्यक्ति या परिवार की भूमि की सूची एव स्वामित्व का विवरण खतौनी कहलाता है इसमें तेरह खाने होते हैं , तथा इसको 6 वर्ष मे नवीनीकृत किया जाता है
दाखिल ख़ारिज : - इस प्रक्रिया के समय के भूस्वामी के नाम का परिवर्तन किया जाता है, जब भू स्वामी अपनी जमीन का विक्रय( बेचना) करता हैं|
खेवट :- इसका इस्तेमाल अब बंद हो गया हैं , इसका संबंध जमीदारी के रजिस्टरसे था |
चकबंदी:- चकबंदी वह विधि है जिसके द्वारा व्यक्तिगत खेती को टुकड़ों में विभक्त हाने से रोका एवं संचयित किया जाता है तथा किसी ग्राम की समस्त भूमि को और कृषकों के बिखरे हुए भूमिखंडों को एक पृथक् क्षेत्र में पुनर्नियोजित किया जाता है। भारत में जहाँ प्रत्येक व्यक्तिगत भूमि (खेती) वैसे ही न्यूनतम है, वहाँ कभी कभी खेत इतने छोटे हो जाते हैं कि कार्यक्षम खेती करने में भी बाधा पड़ती है। चकबंदी द्वारा चकों का विस्तार होता है, जिससे कृषक के लिये कृषिविधियाँ सरल हो जाती हैं और पारिश्रमिक तथा समय की बचत के साथ साथ चक की निगरानी करने में भी सरलता हो जाती है। इसके द्वारा उस भूमि की भी बचत हो जाती है जो बिखरे हुए खेतों की मेड़ों से घिर जाती है। अंततोगत्वा, यह अवसर भी प्राप्त होता है कि गाँव के वासस्थानों, सड़कों एवं मार्गों की योजना बनाकर सुधार किया जा सके।
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