Uttarakhand History | Uttarakhand Foundation Day-Education masters
By Kamakshi Sharma | General knowledge | Nov 15, 2018
Uttarakhand officially the State of Uttarakhand, formerly known as Uttaranchal, is a state in the northern part of India.Literally Northern Land or Section in Sanskrit, the name of Uttarakhand finds mention in the early Hindu scriptures as the combined region.Uttarakhand is divided into two regions known as Kumaon and Garhwal. Get a brief introduction to Uttarakhand's history, religion, languages, lifestyle, etc.
Uttarakhand STATE में अनेक स्थानों से प्राप्त हुए पाषाण काल के उपकरण, गुफा, चित्र-शेली, कंकाल, और धातुओं के उपकरणों से प्रागैतिहासिक काल में मानव निवास की पुष्टि हुई हैं।
Lakhu Cave – 1963 में लाख Cave की खोज हुई, जो अल्मोड़ा के Badechina के पास Dalband पर स्थित हैं, यहाँ मानव और पशुओं के चित्र प्राप्त हुए हैं, चित्रों को रंगों से भी सजाया गया हैं।
Gvarkhya Cave – चमोली (Chamoli) में अलकनंदा नदी (Alaknanda River) के किनारे डुग्री गाँव (Dugri Village) के पास स्थित इस उड्यार में मानव, भेड़, बारहसिंगा आदि के रंगीन चित्र मिले हैं।
Kimani Village – चमोली के पास थराली (Tharali) के पास स्थित इस गाँव के गुफ़ाओं में सफ़ेद रंग से चित्रित हथियार व पशुओं के चित्र मिले हैं।
Malari Village – चमोली में तिब्बत से सटे मलारी गाँव में 2002 में हजारों साल पुराने नर कंकाल (Skeletons), मिट्टी के बर्तन (Clay Pots), जानवरों के अंग (Animal Organ) और 5.2 किलोग्राम का एक सोने का मुखावरण (Mask) मिला। गढ़वाल विश्वविद्यालय (Garwal University) के द्वारा सन् 2002 में मलारी गाँव के प्रागैतिहसिक पुरातत्वस्थल (Archeology) की खुदाई कराई गई।
Lvethap – अल्मोड़ा (Almora) के ल्वेथाप से प्राप्त चित्र में मानव को शिकार करते तथा नृत्य करते हुए दिखाया गया हैं।
Hudali - उत्तरकाशी के हुडली से प्राप्त शैल चित्रों में नील रंग का प्रयोग किया गया हैं।
Petshala - अल्मोड़ा के पेटशाला व पुनाकोट (Punakot) गाँव के बीच स्थित कफ्फरकोट (Kaffarkot) से प्राप्त चित्रों में नृत्य करते हुए मानवों की आकृतियाँ प्राप्त हुई हैं।
Falasima – अल्मोड़ा के फलसीमा से प्राप्त मानव आकृतियों में योग व नृत्य करते हुए दिखाया गया हैं।
Bankot – पिथौरागढ़ के बनकोट से 8 ताम्र मानव आकृतियां मिली हैं।
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UTTARAKHAND STATE गठन के आज 18 year पूरे हो गए, जो प्रदेश जनता द्वारा Sudirdh movement और दर्जनों प्राण न्यौछावर कर प्राप्त किया गया हो, उसके Foundation Day पर वैसा ही excitement दिखाई देना चाहिये था, जैसा दीवाली या ईद जैसे Festivalsपर होता है। लेकिन आम जनता द्वारा इस Important days की पूरी तरह उपेक्षा करना ही Proved कर देता है कि उसे इस STATE से अब कोई आशा नहीं रह गई है। इन 18 Years में STATE आंदोलनकारियों की भावना के अनुरूप न तो Non-violent capital बनी, न ही अपनी Dialect गढ़वाली, कुमाऊंनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिल सका और न ही UTTARAKHAND में पलायन रुका ।9 November 2000 को 27वें STATE के रूप में Uttarakhand अस्तित्व में आया था।
UTTARAKHAND को STATE बनाने की demand सर्वप्रथम 5-6 May 1938 को श्रीनगर में आयोजित Indian National Congress के विशेष अधिवेशन में उठाई गई थी। और 1938 में पृथक STATE के लिए Mr. Dev Suman ने Delhi में 'Gaarmade Seva Sangh' का एक Organization बनाया। इसी परिपेक्ष में कुमाऊँ के हल्द्वानी में भी UTTARAKHAND को अलग STATE की मांग उठाने लगी। इस तरह धीरे-धीरे अलग STATE के लिए Movementबढता गया, 1957 में Tehri King Manvendra Shah ने पृथक STATE आन्दोलन को अपने Levelसे शुरू किया। 24 - 25 June 1967 में Ramnagar में पृथक STATE के लिए
Mountain state council का गठन किया गया। 1976 में UTTARAKHAND Youth council का गठन किया और 1978 में सदस्यों ने Parliament का भी घेराव करने की कोशिश भी की। 1984 में All India Student Federation ने STATE की मांग को लेकर गढ़वाल में 900km. की Cycling travel के माध्यम से लोगो में जागरूकता फेलाई। वहीँ Indramani Badoni जी ने 1988 में Tawaghat to Dehradun तक की उन्होंने 105 दिनों की पैदल जन संपर्क यात्रा की। 1990 में Jaswant Singh Bisht ने UTTARAKHAND क्रांति दल के MLA के रूप में Uttar Pradesh Assembly में पृथक STATE का पहला प्रस्ताव रखा। In July 1992 UTTARAKHAND Revolutionary ने पृथक STATE के सम्बन्ध में एक दस्तावेज जरी किया तथा Unreasonable को प्रस्तावित Capital घोषित किया , इस दस्तावेज को UTTARAKHAND Revolutionary का First Blue-Print माना गया। और कौशिक समिति ने May 1994 में अपनी Report प्रस्तुत की जिसमे UTTARAKHAND को पृथक STATE और उसकी Capital गैरसैंण में बनाने की Recommendation की गई। और Mulayam Singh Yadav Government ने कौशिक समिति की Recommendation को 21 July 1994 को स्वीकार किया और 8 पहाड़ी जिलों को मिला कर पृथक STATE बनाने का प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसहमति से पास कर केन्द्र सरकार को भेज दिया।
लेकिन उस समय पृथक STATE की माग चरम पर थी, और जन आन्दोलन को दबाने के लिए उस समय की सरकार ने कई आंदोलनकारियों को निर्ममता से पीटना और शुरू किया जिसका परिमाण 1 सितम्बर 1994 Khatima bullet case , Mussoriary shootout on September 2, 1994 अंत: इन दो घटनाओं ने देश के सम्मुख UTTARAKHAND को पृथक STATE के दर्जे में आग में घी डालने का काम किया। इन घटनाओ के विरोध में UTTARAKHAND से लेकर दिल्ली तक काफी जनसभाए आयोजित हुई। इन शहीदों के लहू से ही आज UTTARAKHAND को एक पृथक् STATE का दर्जा प्राप्त हुआ।
History of Uttrakhand
Uttarakhand STATE में अनेक स्थानों से प्राप्त हुए पाषाण काल के उपकरण, गुफा, चित्र-शेली, कंकाल, और धातुओं के उपकरणों से प्रागैतिहासिक काल में मानव निवास की पुष्टि हुई हैं।
Lakhu Cave – 1963 में लाख Cave की खोज हुई, जो अल्मोड़ा के Badechina के पास Dalband पर स्थित हैं, यहाँ मानव और पशुओं के चित्र प्राप्त हुए हैं, चित्रों को रंगों से भी सजाया गया हैं।
Gvarkhya Cave – चमोली (Chamoli) में अलकनंदा नदी (Alaknanda River) के किनारे डुग्री गाँव (Dugri Village) के पास स्थित इस उड्यार में मानव, भेड़, बारहसिंगा आदि के रंगीन चित्र मिले हैं।
Kimani Village – चमोली के पास थराली (Tharali) के पास स्थित इस गाँव के गुफ़ाओं में सफ़ेद रंग से चित्रित हथियार व पशुओं के चित्र मिले हैं।
Malari Village – चमोली में तिब्बत से सटे मलारी गाँव में 2002 में हजारों साल पुराने नर कंकाल (Skeletons), मिट्टी के बर्तन (Clay Pots), जानवरों के अंग (Animal Organ) और 5.2 किलोग्राम का एक सोने का मुखावरण (Mask) मिला। गढ़वाल विश्वविद्यालय (Garwal University) के द्वारा सन् 2002 में मलारी गाँव के प्रागैतिहसिक पुरातत्वस्थल (Archeology) की खुदाई कराई गई।
Lvethap – अल्मोड़ा (Almora) के ल्वेथाप से प्राप्त चित्र में मानव को शिकार करते तथा नृत्य करते हुए दिखाया गया हैं।
Hudali - उत्तरकाशी के हुडली से प्राप्त शैल चित्रों में नील रंग का प्रयोग किया गया हैं।
Petshala - अल्मोड़ा के पेटशाला व पुनाकोट (Punakot) गाँव के बीच स्थित कफ्फरकोट (Kaffarkot) से प्राप्त चित्रों में नृत्य करते हुए मानवों की आकृतियाँ प्राप्त हुई हैं।
Falasima – अल्मोड़ा के फलसीमा से प्राप्त मानव आकृतियों में योग व नृत्य करते हुए दिखाया गया हैं।
Bankot – पिथौरागढ़ के बनकोट से 8 ताम्र मानव आकृतियां मिली हैं।
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{Uttarkhand GK In Hindi}: Major Festivals Of Uttarakhand
उत्तराखंड में स्थित 6 राष्ट्रीय उद्यान : Uttarkhand GK In Hindi
Uttarakhand Foundation Day
UTTARAKHAND STATE गठन के आज 18 year पूरे हो गए, जो प्रदेश जनता द्वारा Sudirdh movement और दर्जनों प्राण न्यौछावर कर प्राप्त किया गया हो, उसके Foundation Day पर वैसा ही excitement दिखाई देना चाहिये था, जैसा दीवाली या ईद जैसे Festivalsपर होता है। लेकिन आम जनता द्वारा इस Important days की पूरी तरह उपेक्षा करना ही Proved कर देता है कि उसे इस STATE से अब कोई आशा नहीं रह गई है। इन 18 Years में STATE आंदोलनकारियों की भावना के अनुरूप न तो Non-violent capital बनी, न ही अपनी Dialect गढ़वाली, कुमाऊंनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिल सका और न ही UTTARAKHAND में पलायन रुका ।9 November 2000 को 27वें STATE के रूप में Uttarakhand अस्तित्व में आया था।
History of establishment of Uttarakhand state
UTTARAKHAND को STATE बनाने की demand सर्वप्रथम 5-6 May 1938 को श्रीनगर में आयोजित Indian National Congress के विशेष अधिवेशन में उठाई गई थी। और 1938 में पृथक STATE के लिए Mr. Dev Suman ने Delhi में 'Gaarmade Seva Sangh' का एक Organization बनाया। इसी परिपेक्ष में कुमाऊँ के हल्द्वानी में भी UTTARAKHAND को अलग STATE की मांग उठाने लगी। इस तरह धीरे-धीरे अलग STATE के लिए Movementबढता गया, 1957 में Tehri King Manvendra Shah ने पृथक STATE आन्दोलन को अपने Levelसे शुरू किया। 24 - 25 June 1967 में Ramnagar में पृथक STATE के लिए
Mountain state council का गठन किया गया। 1976 में UTTARAKHAND Youth council का गठन किया और 1978 में सदस्यों ने Parliament का भी घेराव करने की कोशिश भी की। 1984 में All India Student Federation ने STATE की मांग को लेकर गढ़वाल में 900km. की Cycling travel के माध्यम से लोगो में जागरूकता फेलाई। वहीँ Indramani Badoni जी ने 1988 में Tawaghat to Dehradun तक की उन्होंने 105 दिनों की पैदल जन संपर्क यात्रा की। 1990 में Jaswant Singh Bisht ने UTTARAKHAND क्रांति दल के MLA के रूप में Uttar Pradesh Assembly में पृथक STATE का पहला प्रस्ताव रखा। In July 1992 UTTARAKHAND Revolutionary ने पृथक STATE के सम्बन्ध में एक दस्तावेज जरी किया तथा Unreasonable को प्रस्तावित Capital घोषित किया , इस दस्तावेज को UTTARAKHAND Revolutionary का First Blue-Print माना गया। और कौशिक समिति ने May 1994 में अपनी Report प्रस्तुत की जिसमे UTTARAKHAND को पृथक STATE और उसकी Capital गैरसैंण में बनाने की Recommendation की गई। और Mulayam Singh Yadav Government ने कौशिक समिति की Recommendation को 21 July 1994 को स्वीकार किया और 8 पहाड़ी जिलों को मिला कर पृथक STATE बनाने का प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसहमति से पास कर केन्द्र सरकार को भेज दिया।
लेकिन उस समय पृथक STATE की माग चरम पर थी, और जन आन्दोलन को दबाने के लिए उस समय की सरकार ने कई आंदोलनकारियों को निर्ममता से पीटना और शुरू किया जिसका परिमाण 1 सितम्बर 1994 Khatima bullet case , Mussoriary shootout on September 2, 1994 अंत: इन दो घटनाओं ने देश के सम्मुख UTTARAKHAND को पृथक STATE के दर्जे में आग में घी डालने का काम किया। इन घटनाओ के विरोध में UTTARAKHAND से लेकर दिल्ली तक काफी जनसभाए आयोजित हुई। इन शहीदों के लहू से ही आज UTTARAKHAND को एक पृथक् STATE का दर्जा प्राप्त हुआ।
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