Complete Information About 7th Commission indian government
By Vikash Suyal | General knowledge | Aug 21, 2016
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Complete Information About 7th pay Commission Indian government
सातवाँ वेतन आयोग
( सेवाकर्मियो को उपहार )
सातवें वेतन आयोग की सरंचना अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर सदस्य विवेक रॉय सदस्य रथिन रॉय सचिव मीना अग्रवाल मुख्यालय दिल्ली गठन 28 फरवरी, 2014 रिपोर्ट प्रस्तुत 19 नवम्बर, 2015 लागू दिनांक जनवरी, 2016 |
लम्बे इंतजार के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 1 जुलाई, 2016 को सातवें वेतन आयोग को मंजूरी प्रदान की गई , कैबिनेट को मंजूरी के बाद इसका सीधा फायदा केंद्र के एक करोड़ कर्मचारियों व पेंशनधारकों को मिलेगा I सरकार के इस फैसले का कही विरोध है, तो कही खुशी की लहर है I नई वेतन प्रणाली 1 जनवरी, 2016 से लागू होगी, यानि कर्मचारियों को 6 माह का एरियर मिलेगा I ध्यातव्य है की सातवे वेतन आयोग ने नवम्बर, 2015 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी I
सातवें वेतन आयोग के बाद क्या होगा बदलाव ?
सातवें वेतन आयोग को सिफ़ारिशो के बाद वेतन में हुई बढोतरी, पहले वेतन आयोग से लेकर अब तक के वेतन आयोगों में सबसे कम बढोतरी है I आयोग ने वेतन-भत्तों तथा पेंशन में कुल मिलकर 23.55% वृद्धि करने की सिफारिश की थी I सातवें वेतन आयोग की प्रमुख सिफारिशे निम्न थी :-
- मूल वेतन में 14.27% से 16% तक वृद्धि
- कुल वेतन में 23.5% तक वृद्धि
- पेंशन में लगभग 24% वृद्धि
- शुरुआती वेतन ( न्यूनतम ) रु 7000 से बढाकर रु 18000 करना
- कैबिनेट स्तर के सचिव का वेतन रु 90000 से बढाकर रु 2.5 लाख करना
- सातवें वेतन आयोग ने मेडिकल लीव प्रणाली में बदलाव किया है, अब बीमारी की हालत में छुट्टी लेने पर कर्मचारियों को पूरा वेतन मिलेगा I स्वास्थ्य सम्बन्धी छुट्टी के आधार पर छुट्टी का एक नया ढांचा तैयार किया जाएगा I ग्रेच्युटी की सीमा में भी दोगुनी बढोतरी की गई I
- इन सब सिफ़ारिशो के अलावा वेतन में वार्षिक 3% की वृद्धि करना सातवें वेतन आयोग की प्रमुख सिफारिश रही I
क्यों गठित होता है ‘ वेतन आयोग ’ ?
केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन ढांचे में बदलाव के लिए भारत सरकार द्वारा नियमित रूप से प्रत्येक 10 वर्ष में वेतन आयोग का गठन किया जाता है, अभी तक कुल सात वेतन आयोग गठित किये जा चुके है I आयोग के गठन के बाद 18 महीने के अन्दर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी पड़ती है I आयोग , सिफ़ारिशो को अंतिम रूप दिए जाने के पश्चात किसी भी मामले पर आवश्यकता पड़ने पर अंतरिम रिपोर्ट भेजने के पक्ष में विचार कर सकता है I
आइये बताते है आपको अब तक के वेतन आयोगों के बारे में :-
- भारत का पहला वेतन आयोग आज़ादी के पूर्व वर्ष 1946 में श्री निवास वारदाचरिया की अध्यक्षता में गठित किया गया था, जिसने मई 1947 में अंतरिम सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की I
- दूसरा वेतन आयोग आज़ादी के 10 वर्ष बाद वर्ष 1957 में गठित हुआ, इसके अध्यक्ष जगन्नाथ दास थे I इस वेतन आयोग को सिफारिश के कारण सरकारी खजाने पर रु 40 करोड़ का दबाव बना I
- रघुवीर दयाल की अध्यक्षता में तीसरे वेतन आयोग को वर्ष 1970 में गठित किया गया, जिसने अपनी रिपोर्ट 3 वर्ष के बाद प्रस्तुत की I तीसरे वेतन आयोग की सिफ़ारिशो के कारण सरकारी खजाने पर रु 144 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा I
- चौथे वेतन आयोग का गठन वर्ष 1983 में हुआ I इसने अपनी रिपोर्ट चार वर्षो में तीन चरणों में प्रस्तुत की I चौथे वेतन आयोग के अध्यक्ष पीएन सिंघल थे I
- न्यायमूर्ति एस. रत्नेवल पांडियन की अध्यक्षता में वर्ष 1994 में पांचवे वेतन आयोग का गठन हुआ I
- वर्ष 2006 में भारत सरकार द्वारा छठे वेतन आयोग को गठित किया गया, जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण थे I छठे वेतन आयोग की सिफ़ारिशो के परिणामस्वरुप भारत के खजाने पर रु 40 हजार करोड़ का बोझ पड़ा I इस वेतन आयोग ने पे-स्केल की संख्या घटाने और पे-बैंड को अपनाने का सुझाव दिया था , साथ ही इसने ग्रुप-डी कादर की सेवाओ को समाप्त करने की भी सिफारिश की थी I
सातवाँ वेतन आयोग और हमारी अर्थव्यवस्था
अनेक बुद्धिजीवियो की राय है कि सातवाँ वेतन आयोग हमारी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा, क्योकि लोगो के पास पैसा आएगा तो वह जाएगा भी I यह भी तय है की यह जहाँ जाएगा वहां मांग पैदा करेगा, उत्पादन बढेगा एवं रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ना लाजिमी है I पूर्वानुमान बताते है की यह पैसा इलेक्ट्रॉनिक, ऑटोमोबाइल व रियल स्टेट क्षेत्र में जाएगा, क्योकि लोगो की आय बढने पर उनमे आरामदायक वस्तुओ के खरीदने की प्रवृति बाद जाती है , इसके अलावा लोगो में मकान, जमीन खरीदने की लालसा भी देखी जाती है I
वहीँ कुछ अन्य बुद्धिजीवियो का कहना है की वेतन वृद्धि से सरकारी खजाने पर पड़ने वाला दबाव हमारी राजकोषीय घाटे को कम करने की योजना को प्रभावित कर सकता है I इस सम्बन्ध में वह छठे वेतन आयोग का उदहारण देते है की छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था में आई मंदी से उबरने में हमें लगभग 3 वर्ष का समय लग गया था I