हिंदी व्याकरण : संज्ञा की परिभाषा और उसके भेद
हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। भाषा ज्ञान अर्जन का एक अति महत्वपूर्ण साधन है। भाषा को जानने के लिए हिंदी की व्याकरण को समझना भी अति आवश्यक है। और संज्ञा हिंदी भाषा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय है। तो जानते संज्ञा के विषय मे सरल शब्दों मे विस्तृत जानकारी।
किसी वस्तु ,प्राणी ,स्थान अथवा भाव के नाम को संज्ञा(Noun) कहते हैं।
वस्तुओं के नाम : कलम ,मेज ,फल ,आम ,गेहूं ,कैमरा आदि
प्राणियों के नाम : पूजा ,सीमा ,एकता ,शुभम ,मन्दाकिनी ,यश ,बच्चा अध्यापक आदि
स्थानो के नाम : आगरा ,दुकान ,गली ,विद्यालय आदि
भावो के नाम :लम्बाई ,चौड़ाई ,बचपन ,यौवन आदि
संज्ञा के प्रमुख तीन भेद हैं -
व्यक्तिवाचक संज्ञा , जातिवाचक संज्ञा और भाववाचक संज्ञा
वे संज्ञा शब्द जो किसी व्यक्ति विशेष ,स्थान अथवा वस्तु का बोध कराते हैं व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
जैसे -पूजा ,आशीष चीन महाभारत आदि
पूजा विद्यालय जाती है मन्दाकिनी पवित्र नदी है
महाभारत महाकाव्य है ताजमहल आगरा मे है
वे संज्ञा शब्द जी किसी जाति की समस्त वस्तुओं अथवा प्राणियों का बोध कराते हैं जातिवाचक (Jativachak)संज्ञा कहलाते हैं।
जैसे लड़का ,लड़की ,चिकित्सक ,अधिवक्ता पुस्तक आदि।
किसान खेती करता है मजदूर मजदूरी करता है
शेर शिकार करता है डाकिया पत्र लाता है
वे संज्ञा शब्द जो किसी व्यक्ति ,स्थान अथवा वास्तु के गुण ,दोष ,दशा अथवा अवस्था का बोध कराते हैं भाववाचक (Bhavvachak)संज्ञा कहलाते हैं।
जैसे साहस ,स्वतंत्रता ,थकावट ,हरियाली आदि।
बुढ़ापा एक अभिशाप है यौवन सुहावना होता है
अमरुद मीठा होता है ताजमहल बहुत सुन्दर है
अंग्रेजी व्याकरण के प्रभाव से कुछ विद्वान संज्ञा के दो और भेद मानते हैं -
वे संज्ञाएं जिनमे किसी समूह अथवा समुदाय का बोध होता है समुदाय वाचक संज्ञाएँ कहलाती है।
जैसे -भीड़ ,सेना ,सभा इत्यादि।
वे संज्ञाएँ जिनमे किसी पदार्थ ,द्रव ,अथवा धातु का बोध होता है द्रव्यवाचक संज्ञाएँ कहलाती है।
जैसे -तेल ,घी ,पीतल ,सोना, चाँदी आदि
(नोट -हिंदी मे समुदायवाचक व द्रव्य वाचक संज्ञाएँ ,जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत ही आ जाती है ,इन्हे अलग से वर्गीकृत करने की आवश्यकता नहीं होती।)
संज्ञा (Noun) की परिभाषा
किसी वस्तु ,प्राणी ,स्थान अथवा भाव के नाम को संज्ञा(Noun) कहते हैं।
वस्तुओं के नाम : कलम ,मेज ,फल ,आम ,गेहूं ,कैमरा आदि
प्राणियों के नाम : पूजा ,सीमा ,एकता ,शुभम ,मन्दाकिनी ,यश ,बच्चा अध्यापक आदि
स्थानो के नाम : आगरा ,दुकान ,गली ,विद्यालय आदि
भावो के नाम :लम्बाई ,चौड़ाई ,बचपन ,यौवन आदि
संज्ञा के भेद (Kinds of noun)
संज्ञा के प्रमुख तीन भेद हैं -
व्यक्तिवाचक संज्ञा , जातिवाचक संज्ञा और भाववाचक संज्ञा
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyaktiwachak )
वे संज्ञा शब्द जो किसी व्यक्ति विशेष ,स्थान अथवा वस्तु का बोध कराते हैं व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
जैसे -पूजा ,आशीष चीन महाभारत आदि
पूजा विद्यालय जाती है मन्दाकिनी पवित्र नदी है
महाभारत महाकाव्य है ताजमहल आगरा मे है
जातिवाचक संज्ञा (Jativachak)
वे संज्ञा शब्द जी किसी जाति की समस्त वस्तुओं अथवा प्राणियों का बोध कराते हैं जातिवाचक (Jativachak)संज्ञा कहलाते हैं।
जैसे लड़का ,लड़की ,चिकित्सक ,अधिवक्ता पुस्तक आदि।
किसान खेती करता है मजदूर मजदूरी करता है
शेर शिकार करता है डाकिया पत्र लाता है
भाववाचक संज्ञा (Bhavvachak)
वे संज्ञा शब्द जो किसी व्यक्ति ,स्थान अथवा वास्तु के गुण ,दोष ,दशा अथवा अवस्था का बोध कराते हैं भाववाचक (Bhavvachak)संज्ञा कहलाते हैं।
जैसे साहस ,स्वतंत्रता ,थकावट ,हरियाली आदि।
बुढ़ापा एक अभिशाप है यौवन सुहावना होता है
अमरुद मीठा होता है ताजमहल बहुत सुन्दर है
संज्ञा के दो अन्य भेद (Two Other Kinds of noun)
अंग्रेजी व्याकरण के प्रभाव से कुछ विद्वान संज्ञा के दो और भेद मानते हैं -
समुदायवाचक संज्ञा (Samudaye Vachak)
वे संज्ञाएं जिनमे किसी समूह अथवा समुदाय का बोध होता है समुदाय वाचक संज्ञाएँ कहलाती है।
जैसे -भीड़ ,सेना ,सभा इत्यादि।
द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravyavachak)
वे संज्ञाएँ जिनमे किसी पदार्थ ,द्रव ,अथवा धातु का बोध होता है द्रव्यवाचक संज्ञाएँ कहलाती है।
जैसे -तेल ,घी ,पीतल ,सोना, चाँदी आदि
(नोट -हिंदी मे समुदायवाचक व द्रव्य वाचक संज्ञाएँ ,जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत ही आ जाती है ,इन्हे अलग से वर्गीकृत करने की आवश्यकता नहीं होती।)