उत्तराखण्ड से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य भौगोलिक स्थिति और मुख्य शिखर - जलवायु - चट्टानें
उत्तराखण्ड भौगोलिक स्थिति -
प्राकृतिक स्वरूप
भारत धरातलीय दृष्टि से विभिन्नताओं का देश है। इसमें ऊँचे गगन चुम्बी पर्वती शिखर पाए जाते है ,तो कहीँ विस्तृत मैदान और कही कठोर भूमि वाले पत्थर।
भूगोलवेताओ ने क्षेत्रीय आधार पर उत्तर पर्वतीय प्रदेश को चार मुख्य भागों में बाँटा है।
चार मुख्य भाग -
1) - पंजाब हिमालय , 2 ) - कुमाऊँ हिमालय ,3 ) - नेपाल हिमालय ,4 ) - असोम हिमालय
वृहत या आंतरिक हिमालय
उत्तराखण्ड राज्य में सबसे ऊँची पर्वत चोटी नन्दा देवी है। जिसकी ऊंचाई (7 ,817 मी ) है।
इसी भाग में अन्य प्रमुख पर्वत चोटिया निम्नलिखित है।
चट्टानें -
जलवायु -
लघु या मध्य हिमालय -
शिवालिक पहाड़ियाँ और दून -
यह श्रेणी हिमालय की बहरी दक्षिणी श्रेणी है अतः इसे बाह्य हिमालय के नाम के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में लगभग एक हजार मीटर ऊँचाई वाली चोटियाँ पायी जाती है। शिवालिक पहाड़ियों को हिमालय की पाद प्रदेश की श्रेणियाँ कहते है। शिवालिक व मध्य श्रेणियों के बीच चौरस क्षेतिज घाटियाँ है ,जिन्हें दून कहा जाता है। दून का अर्थ घाटियों से जोड़कर लगाया जाता है। इन घाटियों में 75 किमी लम्बी तथा 24 से 32 किलोमीटर चौड़ी देहरादून घाटी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
तराई व भाबर का क्षेत्र -
यह क्षेत्र उत्तराखण्ड का मैदानी क्षेत्र है। कंकरीली तथा पत्थरीली मिट्टी से निर्मित क्षेत्र को भाबर तथा महीन अवसादों वाले मिट्टी से निर्मित क्षेत्र को तराई के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र के अंतर्गत उधम सिंह नगर ,हरिद्धार आते है। इस क्षेत्र की भूमि गेंहू ,धान ,गन्ना आदि प्रमुख फसलों के लिए उपयोगी होती है।
उत्तराखण्ड में प्रमुख ग्लेशियर
- उत्तराखण्ड भारतीय मानचित्र पर 28 डिग्री 43 उत्तरी अक्षांश तथा 77 डिग्री 34 पूर्वी देशान्तर से 81 डिग्री 02 पूर्वी देशान्तर में मध्य अवस्थित है।
- उत्तराखण्ड का कुल क्षेत्र फल 53 ,483 वर्ग किमी है,जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.69 % हैं।
- उत्तराखण्ड का आकार लगभग आयताकार है तथा इसका पूर्व से पश्चिम तक विस्तार लगभग 358 किमी एवं उत्तर से दक्षिण तक विस्तार 320 किमी है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का 18 वॉ राज्य है। और क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला चमोली (8,030 वर्ग किमी ) व सबसे छोटा जिला चम्पावत (1,766 वर्ग किमी ) है।
- हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तराखण्ड राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ उत्तर में चीन के तिब्बत क्षेत्र और पूर्व में नेपाल की सीमाओं से मिलती है।
- उत्तराखण्ड की सीमा को प्राकृतिक दृष्टिकोण से देखा जाए ,तो इसकी पूर्वी सीमा काली नदी ,पश्चिमी सीमा टौन्स नदी और उत्तरी सीमा महाहिमालय श्रेणी में स्थित अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा से सीमांकित होती है।
- सामरिक दृष्टि से उत्तराखण्ड की स्थिति अत्यन्त महत्वपूर्ण है। क्योंकि एक और इसके उत्तर में चीन है ,दूसरी और पूर्व में नेपाल।
- पूर्वी और उत्तरी सीमा अंतर्राष्ट्रीय होने के कारण उत्तराखण्ड एक अतिसंवेदनशील क्षेत्र है। उत्तर में हिमालय की अभेद्द श्रृंखला होने के बावजूद भारत और तिब्बत को जोड़ने वाले कई दर्रे (शिपकी ला दर्रा प्रमुख ) इस क्षेत्र में स्थित है।
प्राकृतिक स्वरूप
भारत धरातलीय दृष्टि से विभिन्नताओं का देश है। इसमें ऊँचे गगन चुम्बी पर्वती शिखर पाए जाते है ,तो कहीँ विस्तृत मैदान और कही कठोर भूमि वाले पत्थर।
- भैगोलिक दृष्टिकोण से भारत को चार धरातलीय भू -भागों उत्तरी पर्वतीय प्रदेश ,उत्तरी भारत का विशाल मैदान ,दक्षिण का पठार और तटीय मैदानी प्रदेश में बाँटा जा सकता है।
- उच्च धरातल हिमाच्छादित चोटियां गहरी कटी -फटी घाटियाँ ,पूर्वगामी जल प्रवाह ,जटिल भू -गर्भीय सरंचना और उपोष्ण अक्षांश में मिलने वाली शीतोष्ण सघन वनस्पति आदि विशेषताएँ भारत के उत्तरी पर्वतीय प्रदेश की अन्य धरातलीय भू -भाग से अलग करती है।
भूगोलवेताओ ने क्षेत्रीय आधार पर उत्तर पर्वतीय प्रदेश को चार मुख्य भागों में बाँटा है।
चार मुख्य भाग -
1) - पंजाब हिमालय , 2 ) - कुमाऊँ हिमालय ,3 ) - नेपाल हिमालय ,4 ) - असोम हिमालय
- कुमाऊँ हिमालय पूर्णतः उत्तराखण्ड राज्य में विस्तृत है। इसका विस्तार सतलुज नदी से काली नदी के मध्य 320 किमी की लम्बाई में मिलता है।
- भू-गर्भीय सरंचना ,धरातलीय विन्यास की विविधता ,वर्षा की मात्रा में भिन्नता ,प्राकृतिक वनस्पति तथा जैव विविधता की बहुलता के कारण उत्तराखण्ड के क्षेत्रीय एवं मानवीय क्रियाकलापों में विभिन्नता होना स्वाभाविक है। इसी आधार पर इस पर्वतीय राज्य को निम्नलिखित चार प्रमुख भागों में विभक्त किया जा सकता है।
- वृहत या आन्तरिक हिमालय
- लघु या मध्य हिमालय
- शिवालिक तथा दून
- भाबर तथा तराई क्षेत्र
वृहत या आंतरिक हिमालय
- यह उत्तर से सबसे ऊँची लगातार फैली आन्तरिक श्रेणी है। भारतोय ग्रंथो में इसे "हिमाद्रि "के नाम से पुकारा गया है। क्योंकि यह श्रेणी सदैव हिमाछादित रहती है।
- इसे महाहिमालय मुख्य हिमालय ,मुख्य हिमालय अथवा अर्फ़िला हिमालय भी कहा जाता है। उच्च हिमालय श्रंखलाओं तथा तिब्बत के पठार को पृथक करने वाला यह पर्वतीय भाग 4,800 से 6000 मी तक ऊँचा है।
उत्तराखण्ड राज्य में सबसे ऊँची पर्वत चोटी नन्दा देवी है। जिसकी ऊंचाई (7 ,817 मी ) है।
इसी भाग में अन्य प्रमुख पर्वत चोटिया निम्नलिखित है।
- कामेत (7 ,756 मी ) ,माणा (7 ,273 मी ) ,बद्रीनाथ (7 ,138 मी ), केदारनाथ (6 ,945 मी )
- ,बन्दरपूँछ (6,315),गंगोत्री ,चौखाम्बा ,दूनागिरि ,नन्दाकोट आदि।
- ये सभी चोटिया प्रायः वर्ष भर बर्फ से ढकी रहती है। इस भाग के प्रमुख हिमनद है - मिलाम ,गंगोत्री ,केदारनाथ ,यमुनोत्री ,हीम ,कोसा आदि।
चट्टानें -
- इसकी चट्टानें बहुत पुराणी है ,जो सम्भवतः 130 से 140 करोड़ वर्ष पुराणी मानी जाती है।
- इसके गर्भ भाग में ग्रेनाइट ,नीस और शिस्ट चट्टानें पाई जाती है। पार्श्व भागों में रुपान्तरित एवं अवसादी चट्टानें पाई जाती है।
जलवायु -
- जलवायु की दृष्टि में यह क्षेत्र सबसे अधिक ठण्डा है।विभिन्न ऊँचाइयों पर तापक्रम में विभिन्नता पाई जाती है।
- फिर भी ऊँची चोटिया सदैव हिमाछादित रहती है। यह क्षेत्र प्राकृतिक वनस्पति की दृष्टि से महत्वहीन है।
लघु या मध्य हिमालय -
- यह श्रेणी वृहत हिमालय के दक्षिण में उसी के समांनान्तर लगभग 75 किमी चौड़ी पट्टी में फैली है। इस क्षेत्र की पर्वत श्रेणियाँ पूर्व से पश्चिम मुख्य श्रेणी के समानान्तर फैली है।
- जो सामान्यतः 3000 से 3,500 मी ऊँची है। इसी क्षेत्र में कुमाऊँ खण्ड के अल्मोड़ा ,पौड़ी गढ़वाल ,टिहरी गढ़वाल तथा नैनीताल के उत्तरी भाग को सम्मिलित किया जा सकता है
- इस श्रेणी के दक्षिण -पूर्व की और धौलाधर ,पीरपंजाल ,महाभारत लेख ,नाम ,रीवा ,चूरिया और मसूरी नामक प्रमुख छोटी -छोटी श्रेणियाँ है।
- नाम ,रीवा ,मसूरी आदि श्रेणियों पर उत्तराखण्ड राज्य के चकराता मसूरी ,नैनीताल तथा रानीखेत नगर स्थित है जिनकी ऊँचाई 1,500 से 2000 मी के बीच पाई जाती है।
- इस क्षेत्र में शिलामूल या जीवाश्म बिलकुल नहीं मिलते। विवर्तिनिक दृष्टि से यह भाग प्रायः शान्त और अपर्याप्त रहा है। यह श्रेणी प्री -कैम्ब्रियन तथा पेलियोजोइक चट्टानों की बनी है।
- कुमाऊँ खण्ड में कुछ मात्रा में तांबा ( अल्मोड़ा व गढ़वाल )
- एसबेस्टस (गढ़वाल ) , ग्रेफाइड (गढ़वाल व अल्मोड़ा ) ,जिप्सम एवं मैग्नेसाइट आदि खनिजों का भण्डार प्राप्त हुआ है।
- यहाँ नदियाँ 1000 मी की गहराई पर बहती है। नैनीताल जिले में 25 किमी लम्बी तथा 43 किमी चौड़ी पेटी में कई ताल स्थित है। जिनमे प्रमुख है - नैनीताल ,नोक ,छियाताल ,सातताल ,पुनाताल ,खुरपाताल ,सूखाताल, सड़ियाताल और भीमताल
- मध्य और वृहत हिमालय के बीच विशाल सीमान्त दरार पाई जाती है ,जो पंजाब से असीम राज्य तक विस्तृत है। इसमें उलटे भ्रंश एवं मोड़ भी पाए जाते है।
- शीत ऋतु में इस क्षेत्र की पर्वत श्रखलाएँ हिमाच्छादित रहती है ,किन्तु निचला भाग गर्म होता। ग्रीष्म ऋतु में यह भाग स्वास्थ्यवर्धक होता है। अतः मैदान भाग से लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए इस क्षेत्र में आते है।
- ग्रीष्मकालीन मानसून द्धारा यहाँ अत्यधिक (160 -200 सेमी वार्षिक )
- वर्षा होती है ,जिसमे ग्रीष्मकालीन मौसम शीतल और सुहावना होता है।
शिवालिक पहाड़ियाँ और दून -
यह श्रेणी हिमालय की बहरी दक्षिणी श्रेणी है अतः इसे बाह्य हिमालय के नाम के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में लगभग एक हजार मीटर ऊँचाई वाली चोटियाँ पायी जाती है। शिवालिक पहाड़ियों को हिमालय की पाद प्रदेश की श्रेणियाँ कहते है। शिवालिक व मध्य श्रेणियों के बीच चौरस क्षेतिज घाटियाँ है ,जिन्हें दून कहा जाता है। दून का अर्थ घाटियों से जोड़कर लगाया जाता है। इन घाटियों में 75 किमी लम्बी तथा 24 से 32 किलोमीटर चौड़ी देहरादून घाटी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
तराई व भाबर का क्षेत्र -
यह क्षेत्र उत्तराखण्ड का मैदानी क्षेत्र है। कंकरीली तथा पत्थरीली मिट्टी से निर्मित क्षेत्र को भाबर तथा महीन अवसादों वाले मिट्टी से निर्मित क्षेत्र को तराई के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र के अंतर्गत उधम सिंह नगर ,हरिद्धार आते है। इस क्षेत्र की भूमि गेंहू ,धान ,गन्ना आदि प्रमुख फसलों के लिए उपयोगी होती है।
उत्तराखण्ड में प्रमुख ग्लेशियर
ग्लेशियर | जनपद | |
मिलम ग्लेशियर | पिथौरागढ़ | |
संतोपंथ ग्लेशियर | पिथौरागढ़ | |
काली ग्लेशियर | पिथौरागढ़ | |
सुन्दरढूंगा ग्लेशियर | बागेश्वर | |
नामिक ग्लेशियर | पिथौरागढ़ | |
पिण्डारी ग्लेशियर | बागेश्वर | |
पिनोरा ग्लेशियर | पिथौरागढ़ | |
कफनी ग्लेशियर | बागेश्वर | |
मैकतोली ग्लेशियर | बागेश्वर | |
पोन्टिंग ग्लेशियर | पिथौरागढ़ | |
यमुनोत्री ग्लेशियर | उत्तरकाशी | |
चौराबाड़ी ग्लेशियर | रुद्रप्रयाग | |
गंगोत्री ग्लेशियर | उत्तरकाशी | |
केदारनाथ ग्लेशियर | रुद्रप्रयाग | |
डोरियानी ग्लेशियर | उत्तरकाशी | |
दूनागिरी ग्लेशियर | चमोली | |
बन्दरपूँछ ग्लेशियर | उत्तरकाशी | |
तिमराबामक ग्लेशियर | चमोली | |
खतलिंग ग्लेशियर | टिहरी |
क्रम स | जलागम | कुल हिमनद | कुल क्षेत्र कुल वर्ग किमी | हिम भंडारण घन किमी | सबसे बड़ा हिमनद वर्ग किमी | सबसे लम्बा हिमनद वर्ग किमी |
1. | टोंस | 102 | 162.58 | 17.4269 | जमदार बमक 63.66 | 19.240 |
2. | यमुना | 22 | 10.4 | 0.451 | यमुना 2.64 | 2.720 |
3. | भागीरथी | 374 | 921.46 | 129.928 | गंगोत्री 262.53 | 32.200 |
4. | भिलंगना | 19 | 112.84 | 13.4763 | खतलिंग 47.15 | 9.090 |
5. | मन्दाकिनी | 39 | 81.94 | 6.3402 | चौराबाड़ी 7.00 | 7.00 |
6. | अलकनंदा | 454 | 1410.59 | 171.925 | भागीरथीखरक18.50 | 18.50 |
7. | पिण्डर | 43 | 158.99 | 15.0139 | मृगग्लेशियर 33.61 | 8.470 |
8. | गोरी गंगा | 128 | 561.35 | 69.1805 | मिलमग्लेशियर103.83 | 18.040 |