साइकिल खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
By Pooja | Miscellaneous | Aug 04, 2020
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साइकिल (Bicycle)चलाना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। साइकिल चलाने से आप शारीरिक(Physically) रूप से मजबूत रहते हैं। साइक्लिंग(Cycling) करने से आदमी का शरीर चुस्त और फुर्तिला होता है। इतना ही नहीं इससे रक्त संचार(Blood Circulation) सुचारू रूप से होता है।
आज के आधुनिक (Modern Era)युग मे मोटर गाडि़यों के प्रयोग के चलते साइकिल का प्रयोग लगभग समाप्त ही हो चुका है। किन्तु आज भी गांव व शहरों में बहुत लोग साइकिल चलाते हैं। साइक्लिंग (Cycling)करने का एक अलग ही मजा होता है। लगभग हम सभी ने बचपन में साइकिल तो चलाई ही है ।क्या आप जानते हैं साइकिल चलना हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है। साइकिल चलाने से मांसपेशियां(Muscles) मजबूत रहती हैं और रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है। जिससे दिल (Heart )की बीमारियों का खतरा कम होता है।
साइकिल खरीदते समय हम साइकिल किस कंपनी की है और इसमे क्या क्या नया स्ट्रक्चर है वह सब देखते हैं। पर इनके अतिरिक्त साइकिल खरीदते समय अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। साइकिल खरीदते समय निम्नलिखित बातो को ध्यान मे रखना चाहिए-
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साइकिल के फ्रेम(frame) की बनावट ऐसी होनी चाहिए कि उसपर लगनेवाले पुर्जें अपना काम कुशलतापूर्वक कर सकें। फ्रेम(frame) में लगा आगे का स्टियरिंग सिरा (steering head), उसपर लगनेवाले हैंडिल (handle)का डंठल और आगे के चिमटे के डंठल की मध्य रेखाएँ एक दूसरी पर संपाती (coincident) होनी चाहिए।
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साइकिल(Bicycle) खरीदते समय यह ध्यान देना चाहिए कि पहिए के तार से बने अरे सदैव तनाव(tightness) की स्थिति में होने चाहिए। उँगली से बजाकर सबको देखा जाए तो उनमें एक सी आवाज़ (Sound)निकलनी चाहिए।
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यदि किसी बेयरिंग(bearing) में से ज़रा भी आवाज़ निकलती हो तो अवश्य ही उसमें कोई खराबी है। उसकी कटोरी (ball-race) के वलयाकार खाँचे तथा कोनों को देखिए। वे घिसे, कटे, या खुरदरे न हों।
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आजकल तीन चाल देनेवाले गीअर हबों (hubs)का अधिक प्रचार है। यह पिछले पहिए में लगाई जाती हैं, जिसके द्वारा सवार (rider)अपनी इच्छा और आवश्यकतानुसार bicycle की चाल के अनुपात को बदल सके।ऐसी गीअर नाभि (hub)भी बनाई जाती है कि पीछे को, अर्थात् उलटा, पैडल चलाने से ब्रेक(break) लग जाता है।
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यह दो प्रकार का होता है, एक तो घर्षण (friction)बेलन युक्त और दूसरा रैचेट दाँत युक्त। प्रत्येक मुक्त चक्र में यह गुण होना चाहिए कि भीतरी पुर्जों के अटक जाने से पैडल (paddle)की जंजीर पर खिंचाव न पैदा हो और दुबारा जब पैडल चलाए जाएँ तब भीतरी पुर्जे एक दम आपस में जुटकर काम करने लगें और फिसलें नहीं।अतः साइकिल खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
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टायर(Tyre) को पहिए के घेरे पर जमाए रखने के लिए इसके दोनों किनारों पर या तो इस्पात के तारयुक्त, अथवा रबर की ही कठोर गोंठ बना दी जाती है, जो चक्के के घेरे के मुड़े हुए किनारे के नीचे दबकर अटकी रहती है और भीतरी रबर (rubber)नली में हवा भर देने से टायर (tyre)तनकर यथास्थान बैठ जाता है।अतः साइकिल खरीदते समय टायर की क्वालिटी को भी देखना चाहिए।
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भीतरी नली में हवा भरने के लिए बुड के हवा वाल्ब (air balve)का बहुधा प्रयोग होता है। अतः रबर का वाल्ब ट्यूब फटा, कुचला और सड़ा गला नहीं होना चाहिए। बाल्व के प्लग के ऊपरी सिरे पर लगनेवाली टोपी(Cap) सदैव लगी रहनी चाहिए। बाल्व का आधार(Base) नट घेरे पर सख्ती से कसा रहना चाहिए।
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यह जंजीर छोटी छोटी पत्तीनुमा कड़ियों, बेलनों और रिवटों (revets) द्वारा बनाई जाती है। इसे साफ कर, तेल की चिकनाई देकर और उसके खिंचाव को संमजित कर ठीक हालत में रखना चाहिए।अतः साइकिल खरीदते समय इसकी जाँच भी जरूर करनी चाहिए।
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दोनों क्रैंक (cranck)एक सीध में न हों, तो कॉटर के चपटे भाग को रेतकर, या पलटकर, समंजित (adjust)कर देना चाहिए।अतः साइकिल खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
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पहियों के घेरों पर दबाव डालनेवाले हस्तचालित ब्रेकों (Handbreak)की कार्यप्रणाली लीवर और डंडों के संबंध पर आधारित होती है। बाऊडन (Bowden) के ब्रेक, इस्पात की लचीली नली में लगे एक अतंपीड्य तार के खिंचाव पर आधारित होते हैं। ब्रेकों(Break) को छुड़ाने के लिए कमानी काम करती है। ब्रेक, सुरक्षा का प्रधान उपकरण (equipment)है अतः इसका विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
आज के आधुनिक (Modern Era)युग मे मोटर गाडि़यों के प्रयोग के चलते साइकिल का प्रयोग लगभग समाप्त ही हो चुका है। किन्तु आज भी गांव व शहरों में बहुत लोग साइकिल चलाते हैं। साइक्लिंग (Cycling)करने का एक अलग ही मजा होता है। लगभग हम सभी ने बचपन में साइकिल तो चलाई ही है ।क्या आप जानते हैं साइकिल चलना हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है। साइकिल चलाने से मांसपेशियां(Muscles) मजबूत रहती हैं और रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है। जिससे दिल (Heart )की बीमारियों का खतरा कम होता है।
साइकिल खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
साइकिल खरीदते समय हम साइकिल किस कंपनी की है और इसमे क्या क्या नया स्ट्रक्चर है वह सब देखते हैं। पर इनके अतिरिक्त साइकिल खरीदते समय अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। साइकिल खरीदते समय निम्नलिखित बातो को ध्यान मे रखना चाहिए-
फ्रेम (Frame)
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साइकिल के फ्रेम(frame) की बनावट ऐसी होनी चाहिए कि उसपर लगनेवाले पुर्जें अपना काम कुशलतापूर्वक कर सकें। फ्रेम(frame) में लगा आगे का स्टियरिंग सिरा (steering head), उसपर लगनेवाले हैंडिल (handle)का डंठल और आगे के चिमटे के डंठल की मध्य रेखाएँ एक दूसरी पर संपाती (coincident) होनी चाहिए।
पहिया (Tyre)
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साइकिल(Bicycle) खरीदते समय यह ध्यान देना चाहिए कि पहिए के तार से बने अरे सदैव तनाव(tightness) की स्थिति में होने चाहिए। उँगली से बजाकर सबको देखा जाए तो उनमें एक सी आवाज़ (Sound)निकलनी चाहिए।
बॉलबेयरिंग (Ball bearings)
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यदि किसी बेयरिंग(bearing) में से ज़रा भी आवाज़ निकलती हो तो अवश्य ही उसमें कोई खराबी है। उसकी कटोरी (ball-race) के वलयाकार खाँचे तथा कोनों को देखिए। वे घिसे, कटे, या खुरदरे न हों।
गीअर नाभि (hub)
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आजकल तीन चाल देनेवाले गीअर हबों (hubs)का अधिक प्रचार है। यह पिछले पहिए में लगाई जाती हैं, जिसके द्वारा सवार (rider)अपनी इच्छा और आवश्यकतानुसार bicycle की चाल के अनुपात को बदल सके।ऐसी गीअर नाभि (hub)भी बनाई जाती है कि पीछे को, अर्थात् उलटा, पैडल चलाने से ब्रेक(break) लग जाता है।
मुक्त चक्र (Free wheel)
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यह दो प्रकार का होता है, एक तो घर्षण (friction)बेलन युक्त और दूसरा रैचेट दाँत युक्त। प्रत्येक मुक्त चक्र में यह गुण होना चाहिए कि भीतरी पुर्जों के अटक जाने से पैडल (paddle)की जंजीर पर खिंचाव न पैदा हो और दुबारा जब पैडल चलाए जाएँ तब भीतरी पुर्जे एक दम आपस में जुटकर काम करने लगें और फिसलें नहीं।अतः साइकिल खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
हवाई टायर (Air Tyre)
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टायर(Tyre) को पहिए के घेरे पर जमाए रखने के लिए इसके दोनों किनारों पर या तो इस्पात के तारयुक्त, अथवा रबर की ही कठोर गोंठ बना दी जाती है, जो चक्के के घेरे के मुड़े हुए किनारे के नीचे दबकर अटकी रहती है और भीतरी रबर (rubber)नली में हवा भर देने से टायर (tyre)तनकर यथास्थान बैठ जाता है।अतः साइकिल खरीदते समय टायर की क्वालिटी को भी देखना चाहिए।
बाल्व(Balve)
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भीतरी नली में हवा भरने के लिए बुड के हवा वाल्ब (air balve)का बहुधा प्रयोग होता है। अतः रबर का वाल्ब ट्यूब फटा, कुचला और सड़ा गला नहीं होना चाहिए। बाल्व के प्लग के ऊपरी सिरे पर लगनेवाली टोपी(Cap) सदैव लगी रहनी चाहिए। बाल्व का आधार(Base) नट घेरे पर सख्ती से कसा रहना चाहिए।
चालक जंजीर (Chained driver)
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यह जंजीर छोटी छोटी पत्तीनुमा कड़ियों, बेलनों और रिवटों (revets) द्वारा बनाई जाती है। इसे साफ कर, तेल की चिकनाई देकर और उसके खिंचाव को संमजित कर ठीक हालत में रखना चाहिए।अतः साइकिल खरीदते समय इसकी जाँच भी जरूर करनी चाहिए।
पैडल क्रैंक (Paddle crank)
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दोनों क्रैंक (cranck)एक सीध में न हों, तो कॉटर के चपटे भाग को रेतकर, या पलटकर, समंजित (adjust)कर देना चाहिए।अतः साइकिल खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
हाथ के ब्रेक(Hand break)
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पहियों के घेरों पर दबाव डालनेवाले हस्तचालित ब्रेकों (Handbreak)की कार्यप्रणाली लीवर और डंडों के संबंध पर आधारित होती है। बाऊडन (Bowden) के ब्रेक, इस्पात की लचीली नली में लगे एक अतंपीड्य तार के खिंचाव पर आधारित होते हैं। ब्रेकों(Break) को छुड़ाने के लिए कमानी काम करती है। ब्रेक, सुरक्षा का प्रधान उपकरण (equipment)है अतः इसका विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।