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A Breif History About Razia Sultan || Gk in Hindi

By Kamakshi Sharma | General knowledge | May 21, 2018
भारत की पहली महिला शासिका रजिया सुल्तान थी। रजिया सुल्तान ने लगभग 5 वर्षों तक दिल्ली की सल्तनत को संभाला। रजिया सुल्तान का पूरा कार्यकाल संघर्षों के साथ बीता। फिर भी रजिया सुल्तान का जीवन साहस और शूरता से भरा हुआ था और सभी के लिए प्रेरणादायक रहा।

रजिया गुलाम वंश के सुल्तान इल्तुतमिश की पुत्री थी। रजिया एक साहसी, व्यवहार कुशल एवं दूरदर्शी महिला थी। इसलिए रजिया सुल्तान ने धीरे-धीरे सरदारों को अपनी ओर मिलाना शुरू कर दिया था।

जिस समय रजिया शासक की गद्दी पर बैठी, उस समय चारों तरफ से घोर संकट छाया हुआ था। दिल्ली सल्लनत के दरबारी लोग अपने ऊपर एक स्त्री का शासन होते हुए नहीं देख सकते थे। इसलिए ये सभी लोग लगातार रजिया के विरुद्ध षड्यंत्र करते रहते थे।

सन् 1205 में रजिया सुल्तान का जन्म हुआ था। रजिया सुल्तान सेल्जुक वंशज की थी।रजिया सुल्तान एक प्रतिभाशाली, बुद्धिमान, बहादुर, उत्कृष्ट प्रशासक और एक महान योद्धा थी। उस समय की मुस्लिम राजकुमारियों के रूप में, रजिया सुल्तान ने युद्ध करने में प्रशिक्षण प्राप्त किया, साथ ही सेनाओं का नेतृत्व किया और राज्यों का प्रशासन करना भी सीखा।उनमें वे सभी गुण विद्यमान थे जो एक कुशल शासक में होने चाहिए और अपने भाइयों की तुलना में वह शासक बनने में अधिक सक्षम थीं इसलिए इल्तुतमिश ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में रजिया सुल्तान को चुना। जब भी इल्तुतमिश अपनी राजधानी छोड़कर कही भी जाता था, तो वह रजिया सुल्तान को एक शासक के रूप में जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की शक्ति प्रदान कर देता था। लेकिन इल्तुतमिश की मृत्यु के पश्चात, इल्तुतमिश के पुत्र रुकुन- उद- दीन फिरोज ने सिंहासन पर कब्जा कर लिया। उसने सात महीने तक दिल्ली सिंहासन पर शासन किया। सन् 1236 में, रजिया सुल्तान ने दिल्ली के लोगों के समर्थन से अपने भाई को हराकर दिल्ली सिंहासन की बागडोर संभाली।

रजिया सुल्तान एक कुशल शासक होने के साथ साथ अपने क्षेत्र में पूर्ण कानून और व्यवस्था की स्थापना कर रखी की। उन्होंने व्यापार को प्रोत्साहन देकर, सड़कों का निर्माण, कुओं की खुदाई और स्कूलों और पुस्तकालयों का निर्माण करके देश के बुनियादी ढाँचे में सुधार करने की कोशिश की। यहाँ तक कि रजिया सुल्तान ने कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी योगदान दिया और कवि, चित्रकारों एंव संगीतकारों को प्रोत्साहित किया।

रजिया सुल्तान ने पूर्ण रूप से कठोर शासन करने के लिए, अपने कपड़े और गहने त्याग दिए और मर्दाना पहनावे को अपना लिया फिर चाहे वह उनका दरबार हो या युद्ध का मैदान। उन्होंने जलाल-उद-दीन याकूत नामक इथियोपियन (हाब्सी) दास पर भरोसा किया और उसको अपना निजी परिचारक बना लिया, इस प्रकार शक्तिशाली तुर्की अमीरों के एकाधिकार को चुनौती दी। एक महिला को अपने शासक के रूप में स्वीकार करने के लिए तुर्की रईसों अनिच्छुक थे, खासकर जब रजिया ने उनकी शक्ति को चुनौती दी थी। उन्होंने रजिया के खिलाफ साजिश रची, सन् 1239 में जब वह लाहौर के तुर्की गवर्नर द्वारा विद्रोह को रोकने के लिए कोशिश कर रही थी, तो तुर्की के रईसों ने दिल्ली में उनकी अनुपस्थिति का फायदा उठाया और उसे राज गद्दी से उतारकर उनके भाई बेहराम शाह को दिल्ली का शासक बना दिया।

सिंहासन को पुनः प्राप्त करने के लिए रजिया सुल्ताना ने भटिंडा के सेनापति, मलिक अल्तुनिया से शादी कर ली और अपने पति के साथ दिल्ली पर चढ़ाई करने के लिए बढ़ी, लेकिन 13 अक्टूबर 1240 को, बेहराम शाह ने दुर्भाग्यपूर्ण रजिया और मलिक अल्तुनिया की हत्या कर दी।

रजिया सुल्तान से सम्बंधित परीक्षा में पूछे गये प्रशन




  • अपनी ही पुत्री रजिया को इल्तुतमिश ने अपना उत्तराधिकारी बनाया

  • रजिया सुल्तान दिल्ली सल्तनत की पहली और आखिरी महिला शासक थी

  • 1236 ई0 रजिया को दिल्ली की शासिका बनाया गया

  • अश्वशाला का प्रधान ‘जमालुद्दीन याकूत’ को ‘अमीर-आखूर’ नियुक्त किया गया

  • मलिक हसन गौरी को रजिया ने सेनापति के पद पर नियुक्त किया

  • भटिण्डा के गवर्नर अल्तुनिया के विद्रोह को कुचलने के लिए रजिया 1240 ई0 में तबरहिंद के अक्तादार तबरहिंद की ओर गयी|

  • याकूत की हत्या 1240 ई0 में तुर्क अमीरों ने करके रजिया को बंदी बना लिया तथा दिल्ली के सिहासन पर इल्तुतमिश के तीसरे पुत्र बहरामशाह को बैठाया

  • तबरहिंन्द के अक्तादार भटिण्डा के सूबेदार अल्तूनिया से रजिया ने दिल्ली की सत्ता को पुन; प्राप्त करने के लिए से विवाह किया

  • रजिया ने साम्राज्य में शांति स्थापित की और अमीरों से अपनी आज्ञा मनवाई




  • रजिया ने लाल वस्त्र पहन कर जनता से न्याय की अपील की तथा जनसमर्थन के साथ ही गद्दी पर बैठ पायी

  • रजिया पर्दाप्रथा को त्याग दिया तथा पुरुषों की तरह चोगा व कुलाह पहन कर राजदरबार में जाने लगी

  • रजिया घोडे पर सवार हो कर युध्द के मैदान में जाती थी

  • तुर्की अमीरो के दल के नेता निजामुल मुल्क जुनैदी था जो रजिया सुल्तान का विरोध कर रहा था

  • रजिया का शासनकाल 1236 से 1240 ई0 मात्र साढे तीन वर्ष का तक रहा

  • कैथल के निकट मार्ग़ में कुछ डाकुओं ने रजिया व अल्तुनिया की हत्या 13 अक्टूबर 1240 को कर दी

  • वह महान शासिका, बुध्दिमान, ईमानदार, न्याय करने वाली प्रजापालक तथा युध्दप्रिय थी



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