थारू जनजाति से सम्बंधित संम्पूर्ण सामान्य ज्ञान हिन्दी में
By Ravi | General knowledge | Jan 16, 2017
Tharu Origin थारू उत्त्पत्ति
थारू समुदाय स्वयं को मातृ पक्ष से राजपूत वंश का मानते है जबकि पितृ पक्ष से भील उत्पत्ति का मानते है।थारू समुदाय के लोग स्वयं को मुख्यता सिसोदिया वंश का मानते है।अन्य जातियो की तुलना में थारू जनजाति काफी backward पिछड़ी है। भारत सरकार द्धारा थारू जनजाति को 1961 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था। नेपाल प्रान्त के दक्षिणी हिस्से के तराई क्षेत्रों में अपना जीवन यापन करते है।अनेक विज्ञानिको ने इनकी उत्पत्ति के अनेक परिभाषएँ दी है। जिनमे अधिकांश अपवाद बना है।
विस्तृत क्षेत्र
- थारू जनजाति उत्तराखण्ड के नैनीताल लेकर उत्तर प्रदेश गोरखपुर तक तराई क्षेत्र में फैली हुई है।
- थारू जनजाति ये लोग "किरात "के वंशज माने जाते है। किन्तु इनका विशेष निवास तत्कालीन नैनीताल जिले की तराई क्षेत्र की तहसील खटीमा क्षेत्र से तहसील सितारगंज तक है।
- राजस्थान के थारू क्षेत्र से पलायन कर यहाँ बसने तथा मदिरा अधिक प्रयोग करने के कारण इन्हें थारू जनजाति के नाम से विशेष रूप जाना जाता है।
- थारू जनजाति उत्तराखण्ड की सबसे बड़ी जनजाति है। उत्तराखण्ड की सर्वाधिक जनसँख्या वाली जनजाति है।
- थारू जनजाति जो उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मण्डल सम्पूर्ण भाग में विस्तृत रूप से फैली है
- राजस्थान से आये महाराणा प्रताप के वशंज कहलाते है। उत्तराखण्ड की अन्य जनजातियों में विशिष्ट स्थान है।
शिक्षा (Tharu Education)
- थारू जनजाति समुदाय में शिक्षा का अभाव मिलता है। परन्तु रोजगार के तलाश में थारू जनजाति के अधिकांश लोग शहरो की तरफ पलायन करने लगे है।
- थारू समुदाय के अधिकांश शहरी क्षेत्र में रह रहे थारू समुदाय के लोगो के निवास करने के कारण थारू समुदाय के शिक्षा स्तर में सुधार हुआ है। जिससे थारू जनजाति में साक्षरता का विकास हुआ है।
प्रथा (Tharu Tradition)
- थारू जनजाति समुदाय मे मैदानी हिन्दू लोगो के समान विवाह संस्कार की प्रथा मिलती है। समुदाय में घरजवाई ,प्रथा ,बहुपत्नी प्रथा तथा विधवा प्रथा आज भी प्रचलित है। थारू जनजाति में परिवार व्यवस्था में पितृसत्तात्मकता व्यवस्था मिलती है।
- थारू जनजाति पुरुष प्रधान जाति है. थारू जनजाति की संयुक्त परिवार व्यवस्था ही इस जनजाति की विशेषता है. गाँव में एक मुखिया होता है.
- थारू जनजाति में समाज के वयोवृद्ध, श्रेष्ठ सक्षम व्यक्ति को ही मुखिया बनाने की परंपरा है गाँव का मुखिया ही गांव के विवादों और विवाह से सम्बंधित अन्य समस्याओ आदि मामलों पर निर्णय लेते है।
- थारू जनजाति की संयुक्त परिवार व्यवस्था और विधवा विवाह की परंपरा प्रचलित है।
- थारू जनजाति समुदाय में बाल-विवाह की प्रथा प्राचीन काल से प्रचलित है।
- थारू समुदाय में उपसमूह की प्रथा विद्दमान है। जिनमे थारू समुदाय राणा(थारू),गडौरा, गिरनामा, जुगिया ,दुगौरा, सौसा आदि समूहों में बाटे है।
- थारू महिलाओं का सामाजिक जीवन व थारू समुदाय में पुरुषो की तुलना में उच्च स्थान प्राप्त है।
- थारू समुदाय के लोग विभिन्न जातियों में बाटे है। जिनमे से “बडवायक” सबसे उच्च वर्ग माना जाता है। अन्य वर्ग में ये बंटे है जिनमे डहेट, बट्टा आदि जातियां विधमान है। बडवायक सबसे उच्च वर्ग माना जाता है।
- थारू समुदाय में प्राचीन काल से अदला -बदली विवाह प्रथा प्रचलित है। जिसके अंतर्गत लड़की देने और लाने की प्रथा होती है। अन्य पारंपरिक प्रथा में तीन टिकठी, विद्वा विवाह थारू समुदाय में प्रचलित है। जो थारू समुदाय की विशिष्ठ पहचान को आज के आधुनिक युग में संजोये हुई है।
- थारू जनजाति में “लठभरवा भोज” की प्रथा भी है। जिसमे वैवाहिक लड़की के पति की मृत्यु होने पर पिता द्धारा रिश्तेदारों में व पड़ोस में “भोज”कराने का रिवाज प्रचलित है।
- थारू समुदाय में “मातृसत्तात्मक व्यवस्था” विशेष रूप से मिलती जाती है जिसमे” माता “को विशिष्ठ स्थान है। थारू समुदाय में विशेष रूप से महिलाओं को पुरुष की तुलना में विशिष्ठ स्थान प्राप्त है। जो इस समाज के मातृसत्तात्मकता की व्यवस्था पर विशेष रूप से प्रकाश डालती है।
- पुरुष - पुरुष दैनिक जीवन में पहनावे में कुर्ता, टोपी ,पैजामा ,धोती ,लंगोटी आदि के वस्त्रों को पहनते है।
- स्त्रियां - लहंगा ,रंग बिरंगी चोली,ओढ़नी आदि वस्त्रो को पहनती है।
गले में चाँदी ,तांबे ,काँसे से बने आभूषणों का स्तेमाल थारू स्त्रियां करती है।
धर्म ( Tharu Religion)
- थारू जनजाति के लोग ,दुर्गा ,लक्ष्मी ,राम तथा कृष्ण की अदि हिन्दू देवी देवताओ की पूजा करते है।
- नगरयदि देवी ,कोरोदेव ,कलुवा अपने पितृ देवी - देवताओ की पूजा अर्चना करते है।
- थारू जनजाति के लोग विशेष रूप से अपने देवी देवताओं को मांस व शराब चढ़ाने की प्रथा द्धारा अपने स्थानीय देवी देवताओं को प्रसन्न करने की प्रथा थारू समुदाय में प्रचलित है।
भोजन (Tharu Main Food)
- थारू जनजाति के लोग मुख्य रूप से आहार व खान पान के रूप में चावल व मछली का सेवन करते है ।
- थारू समुदाय के लोग कच्ची मदिरा बनाने में निपुण होते है।
- थारू लोग चावल द्धारा बनाई गई “मदिरा” का भी सेवन करते है। जिसे थारू लोग “जाड” कहते है। “जाड” थारू जनजाति का मुख्य पेय पदार्थ है। जिसे थारू लोग अत्यधिक मात्रा में पीते है।
- धान की खेती को मुख्य रूप से अत्यधिक पानी की जरूरत होती है। जिससे उत्तराखण्ड के तराई वाले क्षेत्रों में थारू लोग धान की खेती करते है चावल की अत्यधिक मात्रा होने से इनका मुख्य भोजन चावल होता हैं।
- खाद्य पदार्थों व अन्य रूप से खाद्य पदार्थों में थारू लोग मक्का की रोटी, मूली, गाजर की आदि सब्जियों व दलों का सेवन अपने दैनिक जीवन में करते है। दूध, दही तथा दाल मछली,आदि मांस भी थारू समुदाय के लोग द्धारा अपने खान पान में खाते है।
- सर्दियों के मौसम में ज्वार, बाजरा, चना, मटर, आदि जैसे मोटे दालो को सेवन में लेते हैं।
- थारू समुदाय मांसाहारी भोजन में मुख्य रूप से मछली खाते है अन्य जानवरो में थारू लोग पसंद करते है। अन्य मांस भोज में काखड़ ,हिरण ,चूहे, कछुए ,काखड़ पशुओं का शिकार कर उनका मांस खाते है।
व्यवसाय ( Occupation )
- थारू जनजाति के लोग मुख्य रूप से धान की खेती करते है व कृषि व पशुपालन का कार्य करते है थारू जनजाति के लोग अपने घर बनाने में नरकुल , लकड़ी व पेड़ो की पतियों का प्रयोग विशेष रूप से करते है।
- थारू मुख्यता कृषि पर निर्भर रहते है। व पशुपालन का कार्य भी इस समुदाय के लोग करते है।
- थारू जनजाति समुदाय मुख्य फसलो में धान की फसल पैदा खेती करना पसन्द करते है।
- थारू अन्य फसलो में साग सब्जी गेंहू ,दाल अदि खाद्य पदार्थो की खेती करते है। थारू लोग पशुपाल में गाय ,भैंस ,भेड़ व अन्य स्तनधारी पशुओ को पालते है। थारू लोग पशुपाल मुख्यता अपने दैनिक जीवन के लाभ व अन्य सुविधाओं के लिए करते है।
- थारू समुदाय के लोग घास से चटाई ,डालिया ,टोकरियां ,सूप आदि वस्तुओं को बनाने में प्रयोग करते है। थारू समुदाय जनजाति अन्य शिल्पकारी कला कृतियों में निपुण होती है।
- थारू समुदाय के लोग साबुत “लोकी” को सूखाकर उनके बीजो को निकालकर खोखला करके उसे मछलियों के शिकार व पकड़ने में प्रयोग करते है।
- थारू लोग अपने अनाजों के सरक्षण के लिए ईंटों से व मिट्टी से निर्मित बनाई गयी बड़ी सन्दूकों का स्तेमाल करते है। जिसे थारू लोग अपने दैनिक जीवन व अन्य महोत्सव व त्योहारो में इस अनाज का प्रयोग करते है।
त्यौहार ( Tharu Festival )
- थारू जनजाति के लोग हिन्दू धर्म के दीपावली पर्व को विशेष रूप से “शोक” पर्व के रूप में मनाते है।
- थारू समुदाय के लोग ज्येष्ठ बैशाख के महीने में "बजहर” त्यौहार को मुख्य रूप से मनाते है।
- थारू जनजाति में अन्य त्योहारो में मुख्यता होली ,खिचड़ी ,अष्टमी ,दशहरा व आदि त्योहारो को मनाने की परम्परा है।
- थारू समुदाय में होली के महोत्सव पर पुरुष व स्त्री मिलकर खिचड़ी नृत्य करने की परम्परा है।
Local self government स्वशासन स्थानीय पंचायते
- थारू समुदाय में अपनी पंचायते होती है व अपनी ग्रामीण स्तर की अदालते होती है |
- जिसका थारू समुदाय के लोग आपसी विवाद व गांव के विशेष मुद्दों को अपनी पंचायतो द्धारा समाप्त करते है
- वह ग्रामीण स्तर के अन्य विवादों को अपनी अदालतों द्धारा समाप्त करते है |
- आपराधिक पक्ष को पंचायत द्धारा सर्वसमिति सर दण्डित किया जाता है।
थारू जनजाति का संक्षिप्त विवरण - | |
उत्त्पत्ति origin |
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धर्म religion |
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क्षेत्र विस्तार area |
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मुख्य व्यवसाय occupation |
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जीवन – स्तर livili-hood |
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परम्पराएँ tradition |
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भोजन Food |
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शारीरिक रचना body structure |
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Education शिक्षा |
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Judicial system न्याययिकप्राणाली - |
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Most important Gk Question asked in exam -
- किस जनजाति की संख्या उत्तराखण्ड में सर्वाधिक है - थारू
- 2011 की जनगणना के आधार पर सर्वाधिक और सबसे कम जनसँख्या वाली जनजाति कौन सी है - थारू और राजी
- किस जनजाति में बजहर नामक त्यौहार किस जनजाति में मनाया जाता है - थारू
- उत्तराखण्ड की कौन सी जनजाति में मृत्यु के बाद शव को दफनाने की प्रथा है - थारू
- उत्तराखण्ड की किस जनजाति को कुमाऊँ हिमालय की एक मुख्य जनजाति कहा जाता है - थारू
- तीन "टिकड़ी प्रथा "किस जनजाति में प्रचलित है – थारू
- किस जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि ,पशुपालन व आखेट है - थारू
- किस जनजाति होली के अवसर पर खिचड़ी नृत्य करने की प्रथा है – थारू