UKPSC Mains Exam Important Science General Knowledge in hindi Uttarakhand
By Vikash Suyal | General knowledge | Apr 06, 2020
Ukpcs Mains Exam Important Science General Knowledge
अवशोषण एवं स्वांगीकरण - भोजन का अवशोषण छोटी आंत में विशेष रूप से इलियम (शेषान्त्र ) में होता है।
पाचन - पाचन वह प्रक्रिया है जिसमे भोजन को इस प्रकार छोटी - छोटी इकाइयों में तोडा जाता है ताकि वे कोशिक झिल्ली में प्रवेश कर सक तथा रक्त के माध्यम से सम्पूर्ण शरीर में पहुँच सके
मानव पाचन तंत्र के दो प्रमुख अंग होते है -
आहारनाल मुख से गुहा तक लगभग 9 मीटर लम्बी होती है। आहारनाल की दीवारों पर विभिन्न स्थानों पर पाचन ग्रन्थियां स्थित होती है ,जो पाचन एंजाइमों का स्त्राव करती है। इसके अतिरिक्त यकृत एवं आग्नाशय के रूप में दो बड़ी ग्रन्थियां तथा मुख में तीन जोड़ी लार ग्रन्थियां पाचन एन्जाइमों का स्त्राव करती है।
मुख में पाचन - पाचन की क्रिया मुख से ही प्रारम्भ हो जाता है तथा छोटी आंत तक चलती है। मुख में तीन जोड़ी लार(Slavia) ग्रन्थियां (Glands) पायी जाती है।
इन ग्रन्थियों (Glands) से लार(Slavia) का स्त्राव(Secretion) होता है लार में 99 % जल एवं श्लेष्म(Mucus) तथा 1 % लवण आदि होते है। लार हल्की - सी अम्लीय होती है इसका ph 6. 8 होता है।
लार में Salivary Amylase पाया जाता है जिसे टायलिन(Tylen) कहते है। यह एन्जाइम मण्ड (Starch ) का पाचन माल्टोज के रूप में करता है।
लार के कार्य Function Of Slavia -
Ptyalin/Salivary amylase
Starch Saliva Maltose (Disaccharide)
ग्रासनली (Esophagus) -
इसमें किसी प्रकार के पाचन रस स्त्राव नहीं होता। इसकी दीवारों पर श्लेष्म ग्रन्थियाँ (Mucous membranes) होती है। श्लेष्म (Mucus) भोजन को फिसलनदार बनाता है। इस प्रकार ग्रासनली(Esophagus) में भोजन का पाचन नहीं होता। इसके माध्यम से भोजन क्रमानुकंचन क्रिया द्धारा फिसलता हुआ आमाशय में पहुँचता है।
आमाशय (Stomach) -
आमाशय डायफ्राम (Stomach's diaphragm) के नीचे स्थित एक थैली होती है। आमाशय (Stomach) में दो अवरोधिनियाँ होती है -
आमाशय में जठर ग्रन्थियाँ (Gastric glands) पायी जाती है ,जिनमें जठर रस(Gastric glands) का स्त्राव(Secretion) होता है। जठर रस में 97 - 99 % जल , 0.2 - 0.5 % HCL तथा शेष पेप्सिन ,रेनिन ,लाइपेज आदि एन्जाइम होते है। पेप्सिन (Pepsin) भोजन में प्रोटीन का पाचन (Digestion of Protein) करके उन्हें पेप्टाइड एवं पेप्टोंस (Peptide and peptones) में बदलता है। भोजन की 20 % प्रोटीन का पाचन आमाशय (Stomach) में ही होता है। रेनिन (Rennin) केवल बच्चों में पाया जाता है। यह एन्जाइम मिल्क प्रोटीन (Enzyme milk protein) (कैसीन ) Casin का पाचन करता है। जठर रस में HCL भी पाया जाता है जिसके निम्नलिखित कार्य है -
कुल मिलाकर जठर रस के कार्य निम्न है -
(Inactive ) (Active)
Enzyme
(Inactive) (Active)
(Soluble) (insoluble)
छोटी आँत (Small intestine) – आमाशय (Stomach) में भोजन एक गाढ़े एवं तरल पदार्थ में बदल जाता है ,जिसे काइम कहते है। आमाशय (Stomach) के पश्चात् भोजन पोइलोरस(Poilorus) से होता हुआ छोटी आँत में प्रवेश करता है। छोटी आँत लगभग 7 मीटर लम्बी तथा 2.5 सेमी ० मीटर चौड़ी होती है।
आमाशय (Stomach) से भोजन ग्रहणी में प्रवेश करता है। ग्रहणी में यकृत (Liver) से पित्ताशय (Gallbladder) के माध्यम से पितरस तथा आग्नाशय (Pancreatitis) से अग्नाशयों रस का स्त्राव (Pancreatic juices) होता है। पित्त रस में कोई पाचन एन्जाइम (Digestive enzyme) नहीं होता। यह क्षारीय होता है। इसमें सोडियम बाइकार्बोनेट(Sodium bicarbonate) बहुत अधिक होता है जो काइम को उदासीन कर देता है।
पित्त रस (Bile ) - यह एक पीला - हरा जलीय तरल होता है जिसका निर्माण यकृत(Liver) में होता है। पित्त रस यकृत (Liver) से सीधे ग्रहणी में आ सकता है , परन्तु सामान्यतः यह पित्ताशय (Gallbladder ) में संचित होता है तथा आवश्यकता पड़ने पर ग्रहणी में आता है। इसमें दो वर्णक होते है -
NaH CO 3
अग्नाशय रस (Pancreatic juice) - ग्रहणी में अग्नाशय (Pancreatic ) से इस रस का स्त्राव(Secration) होता है। इसमें मुख्यतः तीन प्रकार के एन्जाइम(Engyme) होते है -
कुल मिलाकर अग्नाशयी रस कार्य निम्न है –
(Inactive) (Active)
इसके पश्चात् शेष भोजन तरल अवस्था में इलियम में पहुँचता है। यहाँ आंत्रीया रस (Intestine Juice) का स्त्राव होता है इसमें कई प्रकार के एन्जाइम होते है -
कुल मिलाकर आँत्र रस के कार्य निम्न है।
छोटी आँत में पाचन के साथ - साथ पचे हुए भोजन का अवशोषण (Absorption) होता है। इसके पश्चात भोजन बड़ी आँत में पहुँचता है।
बड़ी आँत - यह लगभग 1.5 मीटर लम्बी होती है। इसके तीन भाग होते है -
सीकम (Seekam) - सीकम छोटी आंत(Small Intestin) एवं बड़ी आंत(Large Intestin) की संधि पर एक छोटी थैली (Small Pouch) होती है। इससे एक कृमिरूपी नाल (Spinal cord) निकलती है जिसे उपान्त्र (Vermiform Appendix ) कहते है जो एक अवशिष्ट अंग (Vestigial Organ ) है।
कॉलोन (Colon) - कॉलोन शेषान्त्र (Colon Canopy) की तुलना में बहुत चौड़ा होता है। तथा 1मीटर लम्बा होता है।
मलाशय (Rectum ) - मलाशय आहारनाल (Rectum diet) का अंतिम भाग होता है। यह मलद्धार(
Armature) में खुलता है। बड़ी आंत में पाचन एन्जाइम (Digestive enzyme) का स्त्राव (Secretion) नहीं होता बल्कि काइम में अधिकांश जल का अवशोषण (Absorption) होता है। इसके अतिरिक्त बहुत कम पचे हुए भोजन का भी अवषोशण होता है।
यकृत (Liver) - यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि (Gland) है। यह दाँयी (Right) तरफ उदर गुहा (Abdominal Cavity) में डायाफ्रॉम(Diaphrome) के ठीक नीचे स्थित होता है। 1500 - 2000 ग्राम तथा महिलाओं में 1200 - 1500 ग्राम होता है। यकृत (Hepatic) में पित्ताशय (Gall bladder) जैसी संरचना (Structure) होती है जिसमें पित्तरस (Billet) का संचय होता है।
यकृत के कार्य -
प्रकाश – संश्लेषण (Photosynthesis) - हरे पौधों द्धारा प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन – डाइऑक्साइड(Carbondioxide) और हाइड्रोजन(Hydrogen) के संयोग से कार्बनयुक्त यौगिक कार्बोहाइड्रेट तथा ग्लूकोज (Carbonated compounds of carbohydrate and Glucose) के निर्माण की क्रिया को प्रकाश – संश्लेषण (Photosynthesis) कहते है। यह एक उपचयन - अपचयन (Oxidation - Reduction )
क्रिया होती है। इस क्रिया में जल के उपचयन से ऑक्सीजन मुक्त(Oxygen-free from the discharge of water) होती है तथा कार्बनहाइड्रेट(Carbohydrate) का निर्माण होता है।
पौधों की पत्तियों में असंख्य छिद्र होते है जिन्हें रंध्र (Stomata ) कहते है। ये स्टोमेटा विसरण की क्रिया द्धारा वायुमण्डल से कार्बन - डाइऑक्साइड का अवशोषण करते है तथा प्रकाश संश्लेषण के दौरान मुक्त ऑक्सीजन को वायुमण्डल में छोड़ते है।
प्रकाश संश्लेषण के लिए कच्ची सामग्री -
प्रकाश - संश्लेषण की क्रियाविधि -
क्लोरोफिल (Chlorophyll) सूर्य प्रकाश से प्राप्त सौर ऊर्जा को रासायनिक पदार्थ में परिवर्तित करता है जिससे पौधे में हल्की सी धारा जड़ों द्धारा अवशोषित जल (Absorbed water) को हाइड्रोजन(Hydrogen) एवं हाइड्रोक्सिल (Hydroxyl) मेँ विभक्त कर देती है। हाइड्रोजन पादप(Hydrogen plant) द्धारा वायुमण्डल (Atmosphere) से अवशोषित कार्बन - डाइ ऑक्साइड(Absorb Carbon dioxide) का अपचयन (Deprecation) कर उसे ग्लूकोज(Glucose) के रूप में परिवर्तित कर देता है। इसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
6 CO2 + 12 H2O सूर्य का प्रकाश C6H12 O 6 + 6H2O + 6O2
कार्बन डाइऑक्सइड जल पर्णहरित ग्लूकोज़
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक : -
मानव पाचनतंत्र (Human Digestive System )
- भोजन का पाचन 4 प्रक्रियाओं से गुजरता है -
- अंत : ग्रहण
- पाचन(Digestion) - भोजन का पाचन मुख गुहा में प्रारम्भ हो जाता है जहाँ कार्बोहाइड्रेटस का आंशिक पाचन होता है। आमाशय में अम्लीय माध्यम में प्रोटीन का आशिक पाचन होता है तथा यह क्रिया छोटी आंत में पूरी होती है जहाँ भोजन का पूणतः पाचन हो जाता है।
अवशोषण एवं स्वांगीकरण - भोजन का अवशोषण छोटी आंत में विशेष रूप से इलियम (शेषान्त्र ) में होता है।
- Egestion - अपच एवं अनवशोषित भोजन को बड़ी आंत से मल के रूप में बहार करना।
पाचन - पाचन वह प्रक्रिया है जिसमे भोजन को इस प्रकार छोटी - छोटी इकाइयों में तोडा जाता है ताकि वे कोशिक झिल्ली में प्रवेश कर सक तथा रक्त के माध्यम से सम्पूर्ण शरीर में पहुँच सके
मानव पाचन तंत्र के दो प्रमुख अंग होते है -
- आहारनाल
- पाचन ग्रन्थियां
आहारनाल मुख से गुहा तक लगभग 9 मीटर लम्बी होती है। आहारनाल की दीवारों पर विभिन्न स्थानों पर पाचन ग्रन्थियां स्थित होती है ,जो पाचन एंजाइमों का स्त्राव करती है। इसके अतिरिक्त यकृत एवं आग्नाशय के रूप में दो बड़ी ग्रन्थियां तथा मुख में तीन जोड़ी लार ग्रन्थियां पाचन एन्जाइमों का स्त्राव करती है।
मुख में पाचन - पाचन की क्रिया मुख से ही प्रारम्भ हो जाता है तथा छोटी आंत तक चलती है। मुख में तीन जोड़ी लार(Slavia) ग्रन्थियां (Glands) पायी जाती है।
- पेरोटिड ग्रन्थियाँ(Perotid glands) - प्रत्येक कान के नीचे
- सबमेंडीबुलर ग्रन्थियाँ (Demubular glands) - निचले जबड़ों के भीतरी भाग में
- सबलिंग्वल ग्रन्थियाँ (Sublingual glands) - जीभ के नीचे
इन ग्रन्थियों (Glands) से लार(Slavia) का स्त्राव(Secretion) होता है लार में 99 % जल एवं श्लेष्म(Mucus) तथा 1 % लवण आदि होते है। लार हल्की - सी अम्लीय होती है इसका ph 6. 8 होता है।
लार में Salivary Amylase पाया जाता है जिसे टायलिन(Tylen) कहते है। यह एन्जाइम मण्ड (Starch ) का पाचन माल्टोज के रूप में करता है।
लार के कार्य Function Of Slavia -
- मुख गुहा को तर एवं फिसलनदार बनाये रखना जिससे बोलने एवं निगलने में आसानी होती है।
- भोजन को फिसलनदार बनाना जिससे भोजन को निगलना आसान होता है।
- भोजन के कणों। के लिए विलायक का कार्य करता है।
- भोज्य पदार्थों को आपस में बाँधकर निवाला बनाने में सहायक जिससे भोजन को एक साथ निगला जा सके।
- मण्ड का पाचन (Digestion of stem) - इसमें टायलिन नामक एन्जाइम (Enzyme called tylen) पाया जाता है जो मण्ड को माल्टोज़(Maltose) में बदलता है।
Ptyalin/Salivary amylase
Starch Saliva Maltose (Disaccharide)
- मुखगुहा (Buccal cavity) को स्वछ रखना तथा जीवाणुओं (Bacteria) को नष्ट कर दाँतों के क्षय (Decay) को रोकना।
- लार (Saliva) में पानी की कमी होने पर प्यास की अनुभूति होती है। इस प्रकार लार शरीर में जल सन्तुलन बनाये रखने में सहायक होती है।
ग्रासनली (Esophagus) -
इसमें किसी प्रकार के पाचन रस स्त्राव नहीं होता। इसकी दीवारों पर श्लेष्म ग्रन्थियाँ (Mucous membranes) होती है। श्लेष्म (Mucus) भोजन को फिसलनदार बनाता है। इस प्रकार ग्रासनली(Esophagus) में भोजन का पाचन नहीं होता। इसके माध्यम से भोजन क्रमानुकंचन क्रिया द्धारा फिसलता हुआ आमाशय में पहुँचता है।
आमाशय (Stomach) -
आमाशय डायफ्राम (Stomach's diaphragm) के नीचे स्थित एक थैली होती है। आमाशय (Stomach) में दो अवरोधिनियाँ होती है -
- जहाँ ग्रासनली आमाशय (Esophagus) से मिलती है ,जो भोजन को वापस ग्रासनली(Esophagus) में जाने से रोकती है।
- जहाँ आमाशय ग्रहणी(Duodenum) में खुलता है , जो तब तक भोजन पूर्णतया मिश्रित न हो जाये तथा उसमे जठर रस (Gastric juice) न मिले जाए। इसे पाइलोरस (Pylorus) कहते है।
आमाशय में जठर ग्रन्थियाँ (Gastric glands) पायी जाती है ,जिनमें जठर रस(Gastric glands) का स्त्राव(Secretion) होता है। जठर रस में 97 - 99 % जल , 0.2 - 0.5 % HCL तथा शेष पेप्सिन ,रेनिन ,लाइपेज आदि एन्जाइम होते है। पेप्सिन (Pepsin) भोजन में प्रोटीन का पाचन (Digestion of Protein) करके उन्हें पेप्टाइड एवं पेप्टोंस (Peptide and peptones) में बदलता है। भोजन की 20 % प्रोटीन का पाचन आमाशय (Stomach) में ही होता है। रेनिन (Rennin) केवल बच्चों में पाया जाता है। यह एन्जाइम मिल्क प्रोटीन (Enzyme milk protein) (कैसीन ) Casin का पाचन करता है। जठर रस में HCL भी पाया जाता है जिसके निम्नलिखित कार्य है -
- हानिकारक जीवाणुओं(Bacteria) को नष्ट कर भोजन को सड़ने से रोकना।
- पाचन में उत्प्रेरक (Catalyst in digestion) का कार्य करना ,जैसे - यह निष्क्रिय पेप्सिनोजेन(Passive pepsinogen) को सक्रीय पेप्सिन (Active pepsin) में बदलता है।
कुल मिलाकर जठर रस के कार्य निम्न है -
- Pepsinogen HCL Pepsin
(Inactive ) (Active)
- Proteins Pepsin Peptides
Enzyme
- Prorennin HCL Rennin
(Inactive) (Active)
- Milk protein Rennin Paracasein
(Soluble) (insoluble)
छोटी आँत (Small intestine) – आमाशय (Stomach) में भोजन एक गाढ़े एवं तरल पदार्थ में बदल जाता है ,जिसे काइम कहते है। आमाशय (Stomach) के पश्चात् भोजन पोइलोरस(Poilorus) से होता हुआ छोटी आँत में प्रवेश करता है। छोटी आँत लगभग 7 मीटर लम्बी तथा 2.5 सेमी ० मीटर चौड़ी होती है।
- ग्रहणी (Duodanum )
- मध्यान्त्र (Jejunum )
- शेषान्त्र (ILeum )
आमाशय (Stomach) से भोजन ग्रहणी में प्रवेश करता है। ग्रहणी में यकृत (Liver) से पित्ताशय (Gallbladder) के माध्यम से पितरस तथा आग्नाशय (Pancreatitis) से अग्नाशयों रस का स्त्राव (Pancreatic juices) होता है। पित्त रस में कोई पाचन एन्जाइम (Digestive enzyme) नहीं होता। यह क्षारीय होता है। इसमें सोडियम बाइकार्बोनेट(Sodium bicarbonate) बहुत अधिक होता है जो काइम को उदासीन कर देता है।
पित्त रस (Bile ) - यह एक पीला - हरा जलीय तरल होता है जिसका निर्माण यकृत(Liver) में होता है। पित्त रस यकृत (Liver) से सीधे ग्रहणी में आ सकता है , परन्तु सामान्यतः यह पित्ताशय (Gallbladder ) में संचित होता है तथा आवश्यकता पड़ने पर ग्रहणी में आता है। इसमें दो वर्णक होते है -
- बिलिरुबिन (Bilirubin )
- बिलिवर्डीन (Biliverdin )
- पित्तरस में सोडियम बाइकार्बोनेट (Sodium bicarbonate) की मात्रा अधिक होती है। अतः यह क्षारीय होता है। इसमें कोई पाचन एन्जाइम (Digestive Enzyme) नहीं होता ,परन्तु पाचन में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- यह आँत में क्रमानुकंचन गति को बढ़ाता है , ताकि पाचन रस काइम (Digestion juice cheim) में मिल सके। पित्त रस के लवण वसा का पृष्ठ तनाव कम कर इसका इमल्सीकरण (Emulsification) करते है ताकि स्टीएप्सिन (Steapsin) नामक एन्जाइम (Enzyme) वसा का अधिकतम पाचन कर सके। कुल मिलाकर पित्तरस (Billet) के कार्य निम्नवत हो –
- Fat Bile Emulsion/Emulsified fat
- Acidic Chyme Bile Alkaline chime
NaH CO 3
अग्नाशय रस (Pancreatic juice) - ग्रहणी में अग्नाशय (Pancreatic ) से इस रस का स्त्राव(Secration) होता है। इसमें मुख्यतः तीन प्रकार के एन्जाइम(Engyme) होते है -
- ट्रिप्सन (Tripson) - जो काइम की शेष प्रोटीन एवं पॉलीपेप्टाइड (Polypeptide ) का पाचन कर अमीनों अम्ल में बदलता है।
- एमाइलॉपसिन(Amylopsin ) - यह शेष मण्ड को शर्करा में बदलता है।
- स्टीएप्सिन (Steapsin ) - जो इमल्सीकृत वसा को वसाअम्ल ग्लिसरॉल (Glycerol ) में बदलता है।
कुल मिलाकर अग्नाशयी रस कार्य निम्न है –
- Trypsinogen Enterokinase Trypsin
(Inactive) (Active)
- Protein & Peptides Trypsin Smaller Peptides + Amino Acids
- Leftover Starch Amylase Maltose
- Emulsified Fat Steapsin Fatty Acids + Glycerol
इसके पश्चात् शेष भोजन तरल अवस्था में इलियम में पहुँचता है। यहाँ आंत्रीया रस (Intestine Juice) का स्त्राव होता है इसमें कई प्रकार के एन्जाइम होते है -
- इरेप्सिन - जो शेष पेप्टाइड (Peptide) को अमिनो अम्ल (Amino acids) में बदलता है।
- पाचन एन्जाइम - जैसे - माल्टेज (Maltase ) जो माल्टोज (Maltose ) को ग्लूकोज़ (Glucose ) में बदलता है। सुक्रोज (Sucrase ) जो (Sucrose) को ग्लुकोज़ (Glucose ) एवं फ्रक्टोज़ (fructose) में बदलता है। लैक्टेज (Lactase ) जो लैक्टोज (लैक्टोज़ ) को ग्लुकोज़ (Glucose ) एवं गैलक्टोज़ (Galactose )में बदलता है तथा लाइपेज (Lipase ) जो इमल्सीकृज वसा को वसाअम्ल एवं ग्लिसरॉल में बदलता है।
कुल मिलाकर आँत्र रस के कार्य निम्न है।
- Peptides Erepsin /Peptides Amino Acids
- Maltose Maltase Glucose
- Sucrose Sucrase Glucose + Fructose
- Lactose (Milk Sugar ) Lactase Glucose + Galactose
- Emulsified Fat Lapase Fatty acids + Glycerol
छोटी आँत में पाचन के साथ - साथ पचे हुए भोजन का अवशोषण (Absorption) होता है। इसके पश्चात भोजन बड़ी आँत में पहुँचता है।
बड़ी आँत - यह लगभग 1.5 मीटर लम्बी होती है। इसके तीन भाग होते है -
- सीकम (Seekam)
- कॉलोन (Colon)
- मलाशय (Rectum)
सीकम (Seekam) - सीकम छोटी आंत(Small Intestin) एवं बड़ी आंत(Large Intestin) की संधि पर एक छोटी थैली (Small Pouch) होती है। इससे एक कृमिरूपी नाल (Spinal cord) निकलती है जिसे उपान्त्र (Vermiform Appendix ) कहते है जो एक अवशिष्ट अंग (Vestigial Organ ) है।
कॉलोन (Colon) - कॉलोन शेषान्त्र (Colon Canopy) की तुलना में बहुत चौड़ा होता है। तथा 1मीटर लम्बा होता है।
मलाशय (Rectum ) - मलाशय आहारनाल (Rectum diet) का अंतिम भाग होता है। यह मलद्धार(
Armature) में खुलता है। बड़ी आंत में पाचन एन्जाइम (Digestive enzyme) का स्त्राव (Secretion) नहीं होता बल्कि काइम में अधिकांश जल का अवशोषण (Absorption) होता है। इसके अतिरिक्त बहुत कम पचे हुए भोजन का भी अवषोशण होता है।
यकृत (Liver) - यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि (Gland) है। यह दाँयी (Right) तरफ उदर गुहा (Abdominal Cavity) में डायाफ्रॉम(Diaphrome) के ठीक नीचे स्थित होता है। 1500 - 2000 ग्राम तथा महिलाओं में 1200 - 1500 ग्राम होता है। यकृत (Hepatic) में पित्ताशय (Gall bladder) जैसी संरचना (Structure) होती है जिसमें पित्तरस (Billet) का संचय होता है।
यकृत के कार्य -
- यह कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) ,वसा(Acid) और प्रोटीन (Protein) के उपापाचय में सक्रीय भाग लेता है।
- यह रक्त शर्करा (Sugar) को नियंत्रित करता है तथा अतिरिक्त शर्करा को ग्लाइकोजेन (Glycogen to glucose) में बदल देता है जो संचित ईंधन के रूप में शरीर में रहता है।
- यह अतिरिक्त अमिनो अम्ल(Amino Acid) की शर्करा एवं नाइट्रोजनी (Sugar and Nitrogen) अवशिष्ट (Residual) में तोड़ देता है।
- सामान्य RBC का निर्माण अस्थिमज्जा (bone marrow) में होता है परन्तु भ्रुंणीय अवस्था (Embryonic state)में RBC का निर्माण यकृत(Liver) में होता है।
- यह अतिरिक्त RBC को तोड़कर पित्तरस का निर्माण करता है। पित्तरस में बिलिरुबिन (Bilirubin) एवं बिलिवर्डिंन (Bilivardin) नामक वर्णक (Pigment) होते है इसकी मात्रा बढ़ने को पीलिया (jaundice) कहा जाता है।
प्रकाश – संश्लेषण (Photosynthesis) - हरे पौधों द्धारा प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन – डाइऑक्साइड(Carbondioxide) और हाइड्रोजन(Hydrogen) के संयोग से कार्बनयुक्त यौगिक कार्बोहाइड्रेट तथा ग्लूकोज (Carbonated compounds of carbohydrate and Glucose) के निर्माण की क्रिया को प्रकाश – संश्लेषण (Photosynthesis) कहते है। यह एक उपचयन - अपचयन (Oxidation - Reduction )
क्रिया होती है। इस क्रिया में जल के उपचयन से ऑक्सीजन मुक्त(Oxygen-free from the discharge of water) होती है तथा कार्बनहाइड्रेट(Carbohydrate) का निर्माण होता है।
पौधों की पत्तियों में असंख्य छिद्र होते है जिन्हें रंध्र (Stomata ) कहते है। ये स्टोमेटा विसरण की क्रिया द्धारा वायुमण्डल से कार्बन - डाइऑक्साइड का अवशोषण करते है तथा प्रकाश संश्लेषण के दौरान मुक्त ऑक्सीजन को वायुमण्डल में छोड़ते है।
प्रकाश संश्लेषण के लिए कच्ची सामग्री -
- कार्बन – डाइऑक्साइड (Carbondioxide) – ग्लूकोज (Glucose) के निर्माण के लिए।
- जल - कार्बन – डाइऑक्साइड(Carbondioxide) के अपचयन के लिए हाइड्रोजन(Hydrogen) की प्राप्ति हेतु।
प्रकाश - संश्लेषण की क्रियाविधि -
क्लोरोफिल (Chlorophyll) सूर्य प्रकाश से प्राप्त सौर ऊर्जा को रासायनिक पदार्थ में परिवर्तित करता है जिससे पौधे में हल्की सी धारा जड़ों द्धारा अवशोषित जल (Absorbed water) को हाइड्रोजन(Hydrogen) एवं हाइड्रोक्सिल (Hydroxyl) मेँ विभक्त कर देती है। हाइड्रोजन पादप(Hydrogen plant) द्धारा वायुमण्डल (Atmosphere) से अवशोषित कार्बन - डाइ ऑक्साइड(Absorb Carbon dioxide) का अपचयन (Deprecation) कर उसे ग्लूकोज(Glucose) के रूप में परिवर्तित कर देता है। इसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
6 CO2 + 12 H2O सूर्य का प्रकाश C6H12 O 6 + 6H2O + 6O2
कार्बन डाइऑक्सइड जल पर्णहरित ग्लूकोज़
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक : -
- प्रकाश (Light) : - प्रकाश संश्लेषण की दर लाल प्रकाश में अधिकतम तथा हरे प्रकाश में न्यूनतम होती है। पैराबैंगनी तथा अवरक्त प्रकाश में प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण नहीं होता
- प्रकाश की तीव्रता (Light intensity) : - सामान्यतः प्रकाश की तीव्रता बढ़ने पर प्रकाश - संश्लेषण की दर बढ़ती है ,परन्तु एक सीमा के बाद प्रकाश - संश्लेषण की दर स्थिर हो जाती है तथा तीव्रता बहुत अधिक होने पर प्रकाश - संश्लेषण की दर काम होने लगती है।
- कार्बन – डाइऑक्साइड (Carbon - Dioxide) : - सामान्यतः को CO 2 की मात्रा बढ़ने पर प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ती है परन्तु यह वृद्धि एक निश्चित सीमा तक होती है। इसके बाद कार्बन -डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने पर प्रकाश संश्लेषण की दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता वायुमण्डल में कार्बन का सान्द्रण 0 3 % है। जबकि इसकी मात्रा में वृद्धि होती है ,तो प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ती है परन्तु कार्बन - डाइ ऑक्साइड के सान्द्रण में यह वृद्धि हानिकारक होती है तथा प्रकाश संश्लेषण की दर कम भी होने लगती है।
- तापमान (Temperature) - अत्यन्त निम्न तापमान पर प्रकाश संश्लेषण की दर कम होती है तथा जैसे -जैसे तापमान में वृद्धि होती है, प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ती है। परन्तु प्रकाश संश्लेषण की क्रिया लगभग 37 ० C पर सर्वाधिक होती है और इससे अधिक तापमान पर एन्जाइम तथा लवक नष्ट होने लगते है तथा प्रकाश संश्लेषण की दर कम होने लगती है।
- जल (Water ) - शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में पौधे वाष्पोत्सर्जन (Transpiration ) को रोकने के लिए अपने रन्ध्रों को बन्द कर देते है जिससे पादप वायुमण्डल CO 2 अवशोषित नहीं कर पाते। आते प्रकाश संश्लेषण की दर में कमी आ जाती है।