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Education Science : Introduction to Concepts of Learning For UTET Exam 2018

By Kamakshi Sharma | General knowledge | Oct 04, 2018

Concept of Learning




  • अधिगम का तात्पर्य होता है सीखना एवं, अर्जन का तात्पर्य होता है अर्जित करना|

  • किसी भी प्रकार के अधिगम की प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है भाषा के संदर्भ में यह बात लागू होती है की जहां अन्य प्रकार के ज्ञान का अधिगम अनायास भी संभव है वही भाषा का अधिगम स्वयं के प्रयासों तथा इसे सीख सकने वाली वातावरण परिस्थितियों में ही संभव होता है

  • भाषा का अर्जन अनुकरण के द्वारा होता है बालक अपने वातावरण में जिस प्रकार लोगों को बोलते हुए सुनता है लिखता और देखता है उसी प्रकार का ही वह अनुकरण करने लग जाता है अर्थात बालक जिस परिवेश में रह रहा है वहां के अधिकतर लोगों की भाषा यदि अशुद्ध होती है तो वह उस अशुद्ध भाषा को ही सीखने मैं अधिक संभावना रखता है|

  • अधिगम व्यक्ति के सर्वज्ञ विकास में सहायक होता है इसके द्वारा जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलती है|

  • अधिगम के बाद व्यक्ति खुद को और दुनिया को समझने के योग्य बन जाता है|

  • रटकर विषय वस्तु को याद करने को अधिगम नहीं कहा जा सकता यदि छात्र किसी विषय वस्तु के ज्ञान के आधार पर कुछ परिवर्तन एवं उत्पादन करने में सक्षम हो जाता है तभी उसके सीखने की प्रक्रिया को अधिगम के अंतर्गत रखा जाता है|

  • सार्थक अधिगम ठोस चीजों एवं मानसिक बातो प्रस्तुत करने में उनमें बदलाव लाने की उत्पादक प्रक्रिया है|



Definiations:-1


  • अनुभव द्वारा व्यवहार में रूपांतर लाना ही अधिगम है|



Definiations:-2


  • अधिगम व्यक्ति में एक परिवर्तन है जो उसके वातावरण के परिवर्तनों के अनुसरण में होता है|



Definiations:-3


  • सीखना ज्ञान का अर्जन है इसमें कार्यों को करने के नवीन तरीके होते हैं और इसकी शुरुआत व्यक्ति द्वारा किसी भी बाधा को दूर करने तथा नवीन परिस्थितियों में अपने समायोजन को लेकर होती है|



 


  • सभी बच्चे स्वभाव से ही सीखने के लिए प्रेरित होते हैं और उन्हें सीखने की क्षमता भी अधिक होती है बच्चे मानसिक रूप से तैयार होते हैं बच्चे मानसिक रूप से तैयार हो, उससे पहले ही उन्हें पढ़ा देना उनकी बात की अवस्थाओं में उनमें सीखने की प्रवृत्ति को बहुत प्रभावित करता है|

  • उन्हें बहुत से तथ्य तो याद रह जाते हैं लेकिन संभव है कि वे न तो उन्हें समझ पाए और  न हीं उन्हें अपने आसपास की दुनिया से जोड़ पाए|

  • स्कूल के भीतर और बाहर दोनों जगह पर सीखने की प्रक्रिया चलती रहती है यह प्रक्रिया ही सीखने की प्रक्रिया को पुष्ट करती है|

  • सीखना किसी की मध्यस्थ या उसके बिना भी हो सकता है प्रत्येक रूप से सीखने से सामाजिक संदर्भ संवाद विशेषकर अधिक सक्षम लोगों से संवाद विद्यार्थियों को उनके स्वयं के उच्च स्तर पर कार्य करने का मौका देते हैं|

  • सीखने की एक उचित गति होनी चाहिए ताकि विद्यार्थी अवधारणाओं को रटकर और परीक्षा के बाद से सीखे हुए को भूल ना जाए बल्कि उसे समझ सके|  साथ ही सीखने में बहुत सी चुनौतियां भी होनी चाहिए ताकि बच्चों को वह रोचक लगे और उन्हें वह अधिक व्यस्त भी रखें बच्चे को उबता हुआ महसूस होना इस बात का संकेत होता है कि वह कार्य बच्चा अब दोहरा रहा है|

  • भाषा का विकास एक प्रकार का संज्ञानात्मक विकास ही है मानसिक योग्यता की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है|

  • भाषा का तात्पर्य होता है वह सांकेतिक साधन जिसके माध्यम से बालक अपने विचार एवं भावों को प्रस्तुत करता है दूसरों के विचार एवं भावों को समझता है भाषाई योग्यता एक कौशल है जिसे अर्जित किया जाता है यह कौशल अर्जित करने की प्रक्रिया बालक के जन्म के साथ ही प्रारंभ हो जाती हैं|

  • अनुकरण वातावरण के साथ अनुक्रिया तथा शारीरिक सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति की मांग योग्यता के विकास में विशेष भूमिका निभाती है भाषा की योग्यता का विकास बालक में धीरे धीरे एक निश्चित क्रम में होता है जन्म से लेकर 8 माह  तक बालक को किसी शब्द की जानकारी नहीं होती 9 माह से 12 माह के बीच बालक 3 से 4 शब्द बोलने और समझने की कोशिश करता है, डेढ़ वर्ष के भीतर बालक को 10 से 12 शब्दों की जानकारी हो जाती है, 2 वर्ष की आयु तक बालक 100 से अधिक शब्दों को सीख जाता है, 3 वर्ष के भीतर बालक 1000 से अधिक शब्दों को सीख जाता है बालक में भाषा का विकास निरंतर चलता रहता है|

  • भाषा विकास की प्रक्रिया में लिखने पढ़ने का ज्ञान भी धीरे-धीरे होता है बालक धीरे धीरे एक शब्द को पढ़ता है और लिखता है, शिक्षकों को विकास की प्रक्रिया ज्ञान सही ज्ञान होना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इसी के आधार पर वह बालक की भाषा से संबंधित समस्याओं जैसे स्पष्ट बोलना तुतलाना हकलाना या तेज अस्पष्ट वाणी को समाधान कर सकते हैं|

  • बालक की शिक्षा में लिखने पढ़ने वह बोलने की योग्यता सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है इन सभ्यताओं के विकास में भाषा के विकास की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण योगदान देती है इसलिए इसकी जानकारी शिक्षकों को अवश्य होनी चाहिए|



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