Muhavare Lokoktiyan Model In Hindi Language ... CTET UPTET 2018
By Kamakshi Sharma | General knowledge | Oct 07, 2018
सभी Exam में Lokoktiyan के Questions पूछे जाते हैं। Lokoktiyan का प्रयोग मनुष्य अपने जीवन में भी करता हैं। जीवन में प्रयोग करने से Candidate को कुछ Lokoktiyan आसानी से याद हो जाती हैं। जिसके कारण मनुष्य को CTET ,UTET,UPTET के Exam में आयी, Lokoktiyan का आसानी से प्रयोग कर पाता हैं। और Lokoktiyan आसानी से याद भी हो जाती हैं।
लोकोक्ति लोक-अनुभव पर आधारित उपवाक्य होते हैं। यह श्रोता के ह्रदय पर तीखा तथा गहरा प्रभाव डालते हैं। लोकोक्तियाँ युगों-युगों से संकलित होती हुई अपने विशेष अर्थों में आज तक लोक-लोक में प्रचलित हैं। इनका प्रयोग बोलचाल की भाषा में किए जाने के कारण, इन्हें कहावत भी कहा जाता है।
मुहावरे और लोकोक्तियाँ का प्रयोग भाषा में संजीवता लाने के लिए किया जाता है। हम यहां उन प्रश्नों का प्रस्तुत कर रहे है। जो पूर्व में किसी न किसी परीक्षा में आये है और आगामी परीक्षाओं में भी आते रहेंगे। इसलिए इनका अध्ययन आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगा।
अंधों में काना राजा- गुणहीन लोगों में थोड़े गुणों वाला व्यक्ति बहुत गुणवान माना जाता है।
अंधा क्या चाहे दो आँखें -बिना किसी प्रयास के इच्छित वस्तु का मिलना।
अधजल गगरी छलकत जाए- अधूरी योग्यता और कम क्षमता का व्यक्ति ही अधिक इतराता हैं।
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुरा गई खेत- काम बिगड़ जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं।
अपनी करनी पार उतरनी- मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल मिलता है।
आ बैल मुझे मार- स्वयं ही मुसीबत खड़ी कर लेना।
आम के आम गुठलियों के दाम -दोहरा लाभ होना।
इधर कुआँ उधर खाई- दोनों ओर से संकट।
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे- दोष अपना धमकाए निर्दोष को।
ऊँची दुकान फीका पकवान- नाम बड़ा होने पर भी बहुत कम गुण।
एक अनार सौ बीमार- एक ही वस्तु के अनेक इच्छुक।
एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा -एक दोष तो था ही, दूसरा और लग गया।
घर का भेदी लंका ढावे- आपस की फूट से सर्वनाश होना।
घर की मुर्गी दाल बराबर- घर की चीज का आदर नहीं होता।
चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात- थोड़े समय का सुख
चोर की दाढ़ी में तिनका - दोषी स्वयं डरता है।
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए - महा कंजूस होना।
जिसकी लाठी उसकी भैंस - बलवान की हो जीत होती है।
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं - जो डींग मारते हैं, वे काम नहीं करते।
जल में रहे मगर से बैर - जिसके सहारे रहे उसी से दुश्मनी करना।
तेते पाँव पसारिए जैती लाम्बी सौर- आय के अनुसार खर्च करो।
तबले की बला बन्दर के सिर - दोष किसी का, सजा दूसरे को।
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का - कहीं का न रहना।
दूध का दूध पानी का पानी -उचित न्याय।
देखें ऊँट किस करवट बैठता है - देखें क्या फैसला होता है।
दूर के ढोल सुहावने होते हैं - दूर की बातें अच्छी लगती हैं।
न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी - न शर्त पूरी होगी, न काम बनेगा।
लोकोक्ति लोक-अनुभव पर आधारित उपवाक्य होते हैं। यह श्रोता के ह्रदय पर तीखा तथा गहरा प्रभाव डालते हैं। लोकोक्तियाँ युगों-युगों से संकलित होती हुई अपने विशेष अर्थों में आज तक लोक-लोक में प्रचलित हैं। इनका प्रयोग बोलचाल की भाषा में किए जाने के कारण, इन्हें कहावत भी कहा जाता है।
मुहावरे और लोकोक्तियाँ का प्रयोग भाषा में संजीवता लाने के लिए किया जाता है। हम यहां उन प्रश्नों का प्रस्तुत कर रहे है। जो पूर्व में किसी न किसी परीक्षा में आये है और आगामी परीक्षाओं में भी आते रहेंगे। इसलिए इनका अध्ययन आपके लिए अत्यंत लाभकारी होगा।
प्रमुख लोकोक्तियाँ तथा उनके प्रयोग (CTET & UPTET 2018)
अंधों में काना राजा- गुणहीन लोगों में थोड़े गुणों वाला व्यक्ति बहुत गुणवान माना जाता है।
अंधा क्या चाहे दो आँखें -बिना किसी प्रयास के इच्छित वस्तु का मिलना।
अधजल गगरी छलकत जाए- अधूरी योग्यता और कम क्षमता का व्यक्ति ही अधिक इतराता हैं।
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुरा गई खेत- काम बिगड़ जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं।
अपनी करनी पार उतरनी- मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल मिलता है।
आ बैल मुझे मार- स्वयं ही मुसीबत खड़ी कर लेना।
आम के आम गुठलियों के दाम -दोहरा लाभ होना।
इधर कुआँ उधर खाई- दोनों ओर से संकट।
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे- दोष अपना धमकाए निर्दोष को।
ऊँची दुकान फीका पकवान- नाम बड़ा होने पर भी बहुत कम गुण।
एक अनार सौ बीमार- एक ही वस्तु के अनेक इच्छुक।
एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा -एक दोष तो था ही, दूसरा और लग गया।
घर का भेदी लंका ढावे- आपस की फूट से सर्वनाश होना।
घर की मुर्गी दाल बराबर- घर की चीज का आदर नहीं होता।
चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात- थोड़े समय का सुख
चोर की दाढ़ी में तिनका - दोषी स्वयं डरता है।
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए - महा कंजूस होना।
जिसकी लाठी उसकी भैंस - बलवान की हो जीत होती है।
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं - जो डींग मारते हैं, वे काम नहीं करते।
जल में रहे मगर से बैर - जिसके सहारे रहे उसी से दुश्मनी करना।
तेते पाँव पसारिए जैती लाम्बी सौर- आय के अनुसार खर्च करो।
तबले की बला बन्दर के सिर - दोष किसी का, सजा दूसरे को।
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का - कहीं का न रहना।
दूध का दूध पानी का पानी -उचित न्याय।
देखें ऊँट किस करवट बैठता है - देखें क्या फैसला होता है।
दूर के ढोल सुहावने होते हैं - दूर की बातें अच्छी लगती हैं।
न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी - न शर्त पूरी होगी, न काम बनेगा।