सी.वी. रामन: एक महान भारतीय वैज्ञानिक की जीवनी
By Aditi rawat | Article | Jun 09, 2025
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चंद्रशेखर वेंकट रामन भारत के महानतम भौतिकविदों में से एक थे और विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले एशियाई व्यक्ति बने। उन्होंने 1928 में 'रामन प्रभाव' (Raman Effect) की खोज की, जिसने प्रकाश के प्रकीर्णन और आणविक भौतिकी के क्षेत्र में नए आयाम खोले। उनके अग्रणी कार्यों ने भारतीय वैज्ञानिक शोध को वैश्विक पहचान दिलाई।
1. जानकारी सारणी (Infobox)
विषय |
विवरण |
नाम |
सी.वी. रामन |
चित्र |
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कैप्शन |
1956 में सी.वी. रामन |
जन्म नाम |
चंद्रशेखर वेंकट रामन |
जन्म तिथि |
7 नवम्बर 1888 |
जन्म स्थान |
तिरुचिरापल्ली, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु तिथि |
21 नवम्बर 1970 |
मृत्यु स्थान |
बेंगलुरु, कर्नाटक, भारत |
समाधि स्थल |
रामन अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु |
राष्ट्रीयता |
भारतीय |
नागरिकता |
ब्रिटिश भारतीय, बाद में भारतीय |
अन्य नाम |
सी.वी. रामन |
शिक्षा |
भौतिकी में बी.ए. और एम.ए. |
विश्वविद्यालय |
प्रेसिडेंसी कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय |
पेशा |
भौतिक विज्ञानी, प्रोफेसर |
सक्रिय वर्ष |
1907–1970 |
प्रसिद्धि का कारण |
रामन प्रभाव |
विशेष कार्य |
प्रकाश का प्रकीर्णन, प्रकाश का आणविक विवर्तन |
पत्नी |
लोकसुंदरी अम्मल |
संतान |
राधाकृष्णन रामन (खगोलशास्त्री) |
माता-पिता |
चंद्रशेखर अय्यर (पिता), पार्वती अम्मल (माता) |
रिश्तेदार |
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर (भतीजे, नोबेल विजेता) |
वेबसाइट |
Raman Research Institute |
2. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
चंद्रशेखर वेंकट रामन का जन्म 7 नवम्बर 1888 को तिरुचिरापल्ली, मद्रास प्रेसीडेंसी (अब तमिलनाडु) में हुआ था। वे एक तमिल ब्राह्मण परिवार से थे, जिसमें शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया जाता था। उनके पिता चंद्रशेखर अय्यर गणित और भौतिकी के व्याख्याता थे, और उनके मार्गदर्शन ने रामन को प्रारंभ से ही विज्ञान की ओर प्रेरित किया।
रामन एक असाधारण छात्र थे। उन्होंने 11 वर्ष की उम्र में मैट्रिक पास किया और 13 वर्ष की आयु में मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया। वहाँ से उन्होंने 1904 में भौतिकी में बी.ए. की डिग्री प्राप्त की और स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने 1907 में एम.ए. (भौतिकी) की डिग्री भी पूरी की।
ब्रिटिश भारत में उस समय वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए संसाधन सीमित थे, लेकिन फिर भी रामन ने अपने छात्र जीवन में ही अनुसंधान करना प्रारंभ कर दिया था। मात्र 18 वर्ष की आयु में उनका पहला शोधपत्र Philosophical Magazine में प्रकाशित हुआ। उनकी अद्भुत प्रतिभा और अनुसंधान के प्रति समर्पण ने उन्हें भारतीय विज्ञान का वैश्विक प्रतिनिधि बना दिया।
3. करियर
रामन ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय वित्त सेवा में सहायक लेखा महानियंत्रक (Assistant Accountant General) के रूप में की, लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने स्वतंत्र रूप से वैज्ञानिक अनुसंधान भी जारी रखा।
1917 में, उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में 'पलित चेयर ऑफ फिजिक्स' का पद मिला, जिससे उन्हें अनुसंधान कार्य के लिए पूर्णकालिक अवसर मिला।
उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1928 में आया, जब उन्होंने यह खोज की कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी पदार्थ से होकर गुजरता है तो उसकी तरंगदैर्घ्य (wavelength) में परिवर्तन होता है — यह प्रभाव आज रामन प्रभाव (Raman Effect) के नाम से जाना जाता है।
इस ऐतिहासिक खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ, और वे विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई व्यक्ति बने।
4. व्यक्तिगत जीवन
सी.वी. रामन का विवाह लोकसुंदरी अम्मल से हुआ था। इस दंपति के दो पुत्र हुए, जिनमें से एक, राधाकृष्णन रामन, एक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री बने।
रामन को संगीत, प्रकृति, और प्रकाश विज्ञान (ऑप्टिक्स) से गहरा प्रेम था। वे सादगी और अनुशासन में विश्वास करते थे। वे स्वतंत्र भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों के प्रबल समर्थक थे और हमेशा भारतीय छात्रों को अनुसंधान में आगे बढ़ाने के लिए कार्य करते थे।
5. निधन और विरासत
सी.वी. रामन का 21 नवम्बर 1970 को बेंगलुरु में एक छोटी सी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उन्हें रामन अनुसंधान संस्थान (Raman Research Institute) के परिसर में ही समाधि दी गई।
उनकी विरासत केवल रामन प्रभाव तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वतंत्र भारत में वैज्ञानिक ढांचे के विकास में भी उनका अमूल्य योगदान रहा है।
उनके सम्मान में 7 नवम्बर — उनकी जन्मतिथि — को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) के रूप में मनाया जाता है।
6. पुरस्कार और सम्मान
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1930)
→ रामन प्रभाव की खोज के लिए उन्हें यह प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
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नाइट बैचलर (Knight Bachelor) – ब्रिटिश सरकार द्वारा (1929)
→ वैज्ञानिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए यह उपाधि दी गई। -
भारत रत्न (1954)
→ भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, जिसे उन्हें विज्ञान में योगदान के लिए प्रदान किया गया। -
लेनिन शांति पुरस्कार (1957)
→ विश्व शांति और विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सोवियत संघ द्वारा दिया गया। -
रॉयल सोसाइटी के फेलो (1924)
→ उन्हें वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए इस प्रतिष्ठित ब्रिटिश संस्था का सदस्य चुना गया। -
ह्यूजेस मेडल (1930)
→ प्रकाश के प्रकीर्णन और रामन प्रभाव पर उनके कार्य के लिए रॉयल सोसाइटी द्वारा प्रदान किया गया पुरस्कार।
7. ग्रंथसूची (Bibliography)
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मॉलिक्यूलर डिफ्रैक्शन ऑफ लाइट (1922)
→ प्रकाश के अणु स्तरीय विवर्तन पर आधारित उनका प्रमुख वैज्ञानिक कार्य। -
एकॉस्टिक्स एंड द थ्योरी ऑफ द वीणा (1941)
→ वीणा और अन्य भारतीय वाद्ययंत्रों की ध्वनिकी (Acoustics) पर आधारित शोध। -
भारतीय भौतिकी पत्रिका (Indian Journal of Physics) और नेचर (Nature) जैसी प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिकाओं में अनेक शोध पत्र प्रकाशित।
8. संदर्भ (References)
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नोबेल पुरस्कार की आधिकारिक वेबसाइट: nobelprize.org
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रामन अनुसंधान संस्थान: rri.res.in
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"सी.वी. रामन: अ बायोग्राफी" — लेखिका: उमा परमेश्वरन
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भारत सरकार, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पोर्टल
9. बाहरी लिंक (External Links)
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रामन अनुसंधान संस्थान (Raman Research Institute)
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नोबेल पुरस्कार की वेबसाइट पर सी.वी. रामन की जीवनी