जानिए क्या है - Indian law IPC की ये विशेष धराये
By Kamakshi Sharma | History | Oct 12, 2018
IPC की धारा 307 - हत्या की कोशिश करने वाले पर लगती है-
यदि किसी भी इंसान की हत्या की कोशिश का matter अगर सामने आता है, तो ऐसा करने वाले शख्स पर Indian law यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 307 लगाए जाने का Provision है| लेकिन इस धारा 307 के बारे में बहुत से लोगों को Information नहीं है| आइए In short जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है भारतीय दण्ड संहिता यानी इंडियन पैनल कोड और उसकी धारा 307 -
जब कोई एक इंसान किसी दूसरे इंसान की killing की कोशिश करता है. और वह हत्या करने में fail रहता है. तो ऐसा crime करने वाले को धारा 307 आईपीसी की Section 307 के Under sentenceसजा दिए जाने का Provision है| अगर कोई किसी की हत्या की कोशिश करता है, लेकिन जिस शख्स पर Attack हुआ है, उसकी जान नहीं जाती तो इस तरह के मामले मेंAttack करने वाले शख्स पर धारा 307 के अधीन court case चलता है
क्या होती सजा
हत्या की कोशिश करने वाले charged को आईपीसी की धारा 307 में Guilty पाए जाने पर Severe punishment का प्रावधान है| Generally पर ऐसे Matters में दोषी को 10 years तक की सजा और Fines दोनों हो सकते हैं. जिस आदमी की हत्या की कोशिश की गई है अगर उसे गंभीर चोट लगती है, तो दोषी को life prison तक की सजा हो सकती है.
आईपीसी धारा 302 के बारे में जानिये
आईपीसी धारा 302 के according अगर किसी व्यक्ति ने Intentional किसी की हत्या की है तो उसे Life imprisonment के अलावा Fines और यंहा तक की Capital punishment की सजा दी जा सकती है | यह एक Non bailable और Serious crime है |
आईपीसी की धारा 376 के बारे में जानकारियां
भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के Under पहली First point में अगर कोई व्यक्ति किसी भी Female से Forced sex स्थापित करेगा उसके Against इसी धारा के Unde court case चलाया जायेगा और इस तरह के मामले में charged के ऊपर यह Responsibility होगी कि वह अपने आप को Innocent साबित करे , यह नहीं होगा कि कोई Female जो victim है उसे यह Provedक रना पड़े कि दोषी ने उसके साथ जबरदस्ती उसकी इच्छा के विरुद्ध सम्बन्ध स्थापित किये है | धारा 376 के Under दोषी को Seven Years तक की सजा हो सकती है जिसे Ten years की Period तक बढ़ाया जा सकता है साथ ही उस पर Financial penalty भी लगाया जा सकता है |
आईपीसी की धारा 309 के बारे में जानकारी
धारा 309 पर debate काफी लम्बे समय से Ongoing रही है और मोदी सरकार ने December 10, 2014 को ख़त्म करने का Announcement किया था | जनता सरकार के समय 1977 को Parliament में Amendment bill लाया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य इसे ख़त्म करना था लेकिन Rajya Sabha में पास होने के बाद इसे लोकसभा में पेश होना था और उस से पहले ही Government गिर गयी थी जिसकी वजह से यह लटक गया | मोदी के कार्यकाल में फालतू के कानूनों को हटाने की मुहिम यह Announcement नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया है | पहले की कुछ स्थितियों की तरह इस बार भी 18 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेश धारा 309 को ख़त्म करने के पक्ष में है लेकिन बाकि के राज्यों ने इस मामले में और अधिक सुलझता के बारे में कहा है |
धारा 351= हमला करना
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 351
Attack --- जो कोई, कोई Gestation या कोई तैयारी इस Intent से करता है, या यह सम्भाव्य जानते हुए करता है कि ऐसे Gestation या ऐसी तैयारी करने से किसी उपस्थित व्यक्ति को यह Apprehension हो जाएगी कि जो वैसा अंगविक्षेप या तैयारी करता है, वह उस व्यक्ति पर Criminal बल का प्रयोग करने ही वाला है, वह हमला करता है, यह कहा जाता है।
स्पष्टीकरण --- केवल शब्द हमले की कोटि में नहीं आते। किन्तु जो शब्द कोई व्यक्ति प्रयोग करता है, वे उसके अंगविक्षेप या तैयारियों को ऐसा अर्थ दे सकते हैं, जिससे वे अंगविक्षेप या तैयारियां हमले की कोटि में आ जाएं।
दृष्टान्त :
(क) य पर अपना मुक्का क इस आशय से या यह संभाव्य जानते हुए हिलाता है कि उसके द्वारा या को यह विश्वास हो जाए कि क, य को मारने वाला ही है। क ने हमला किया है।
(ख) क एक हिंस्र कुत्ते की मुखबन्धनी इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए खोलना आरम्भ करता है कि उसके द्वारा य को यश विश्वास हो जाए कि वह य पर कुत्ते से आक्रमण कराने वाला है। क ने य पर हमला किया है।
(ग) य से यह कहते हुए कि "मैं तुम्हें पीटूंगा " क एक छड़ी उठा लेता है। यहां यधपि के द्वारा प्रयोग में लाए गए शब्द किसी अवस्था में हमले की कोटि में नही आते और यधपि केवल अंगविक्षेप बजाजा जिसके साथ अन्य परिस्थितियों का अभाव है, हमले की कोटि में न भी आए तथापि शब्दों द्वारा स्पष्टीकृत वह अंगविक्षेप हमले की कोटि में आ सकता है।
Law on deportation
(धारा 362, 364, 364क, 365, 366, 367, 369 भारतीय दंड संहिता)
Deportation
किसी बालिग व्यक्ति को जोर जबरदस्ती से या बहला फुसला कर किसी कारण से कहीं ले जाया जाए तो यह व्यपहरण का अपराध है। यह कारण निम्नलिखित हो सकते है। जैसेः- फिरौती की रकम के लिए, उसे गलत तरीके से कैद रखने के लिए, उसे गंभीर चोट पहुँचाने के लिए, उसे गुलाम बनाने के लिए इत्यादि।
धारा 366 भारतीय दंड संहिता :-
धारा के अन्तर्गत विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को अपहृत करना या उत्प्रेरक करने के बारे में बताया गया है। इसमें बताया गया है कि जो कोई किसी स्त्री का अपहरण या व्यपहरण उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने के आशय से या यह विवश की जायेगी, यह सम्भाव्य जानते हुए अथवा आयुक्त सम्भोग करने के लिए उस स्त्री को विवश, यह विलुब्ध करने के लिए, यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिनकी अवधि दस वर्ष तक से भी दण्डनीय होगी