Yoga: भ्रामरी प्राणायाम करने की प्रक्रिया और लाभ
भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari pranayama)एक ऐसा योग है जिसके द्वारा मनुष्य को तुरंत शांति की अनुभूति होती है। इस प्राणायाम (Bhramari pranayama)का नित्य दिन अभ्यास करने से मनुष्य क्रोध ,चिंता और निराशा से मुक्ति पाता है। यह एक ऐसा प्राणायाम (Pranayam)है जिसको कभी भी घर अथवा ऑफिस मे कही भी किया जा सकता है। इस प्राणायाम को चिंता मुक्ति का सबसे सुलभ साधन माना गया है।
इस प्राणायाम मे सांसो के ऊपर ध्यान दिया जाता है और जब सांसो को छोड़ा जाता है तो उसकी ध्वनि (Sound)मधुमक्खी की ध्वनि के सामान प्रतीत होती है। इस कारण इस इस प्राणायाम को भ्रामरी(Bhramari pranayama) के नाम से जाना जाता है।
यह प्राणायामBhramari pranayama) मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को तुरंत आराम प्रदान कर मस्तिष्क को तंदुरुस्त बनाता है। इस प्राणायाम के माध्यम से जो ध्वनि निकलती है उससे प्राकृतिक(Natural Relax) रूप से शांति मिलती है।
इस प्राणायाम मे सांसो के ऊपर ध्यान दिया जाता है और जब सांसो को छोड़ा जाता है तो उसकी ध्वनि (Sound)मधुमक्खी की ध्वनि के सामान प्रतीत होती है। इस कारण इस इस प्राणायाम को भ्रामरी(Bhramari pranayama) के नाम से जाना जाता है।
यह प्राणायामBhramari pranayama) मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को तुरंत आराम प्रदान कर मस्तिष्क को तंदुरुस्त बनाता है। इस प्राणायाम के माध्यम से जो ध्वनि निकलती है उससे प्राकृतिक(Natural Relax) रूप से शांति मिलती है।
भ्रामरी प्राणायाम करने की प्रक्रिया (How to do Bhramari pranayama)
- शांत वातावरण (Calm Environment) जहाँ हवा का प्रवाह अच्छा हो वहां आसन की मुद्रा(Posture) मे बैठ जाएँ।
- अपने चेहरे (Face)पर मुस्कान को सजाए रखें।
- कुछ वक़्त के लिए अपनी अपनी आँखों (Eyes Closed)को बंद रखें।
- अपने शरीर को हल्का (Light)छोड़ दें।
- तर्जनी ऊँगली को अपने कानों(Ears) पर रखें। आपके कान व गाल की त्वचा(Skin) के बीच में एक उपास्थि होती है। वहाँ अपनी ऊँगली को रखें।
- एक लंबी गहरी साँस (Breathe)ले और साँस छोड़ते हुए, धीरे से उपास्थि को दबाएँ। आप उपास्थि को दबाए हुए रख सकते हैं अथवा ऊँगली से पुनः दबा य छोड़ सकते हैं। यह प्रक्रिया करते हुए लंबी भिनभिनाने वाली ध्वनि (Sound)निकालें।
- आप नीची ध्वनि से भी आवाज़ निकाल सकते हो परंतु ऊँची ध्वनि(Sound) निकलना अधिक लाभदायक है।
- पुनः लंबी गहरी साँस ले और इस प्रक्रिया(Process) को तीन से चार बार दोहराएँ।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (Benefits of Bhramari pranayama)
- यह प्राणायाम (Bhramari pranayama)व्यक्ति को चिंता, क्रोध व उत्तेजना से मुक्ति दिलाता है।
- हाइपरटेंशन (Hypertension) के मरीजों के लिए यह प्राणायाम एक वरदान है।
- यदि आपको अधिक गर्मी लग रही है या सिरदर्द हो रहा है तो यह प्राणायाम Bhramari pranayama करना बहुत लाभदायक है।
- माइग्रेन(My grain) के रोगियों के लिए यह प्राणायाम लाभदायक है।
- इस प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से बुद्धि (Sharp Mind)तेज होती है।
- इस प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से आत्मविश्वास (Self confidence)बढोत्तरी होती है।
- यह प्राणायाम उच्च रक्त-चाप (High Blood Pressure)को सामान्य करता है।
- इस प्राणायाम के माध्यम से मन शांत (Calm)हो जाता है।
भ्रामरी प्राणायाम करते समय ध्यान दे (Pay attention while doing bhramari pranayama)
- आप अपनी ऊँगली(Finger) को ध्यान से उपास्थि पर ही रखें, कान(Ear) पर कदापि न रखें।
- उपास्थि (Upasthi) को अधिक ज़ोर से न दबाएँ। धीरे से ऊँगली को दबाएँ।
- भिनभिनाने वाली ध्वनि (Sound) निकालते समय मुँह को बंद रखें।
- भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayam)करते समय आप अपनी उँगलियों को षण्मुखी मुद्रा में भी रख सकते हैं।
- प्राणायाम करते समय अपने चहरे(Face) पर दबाव न डालें ।
- इस प्राणायाम(Pranayam) को तीन से चार बार से अधिक न करें।