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Yoga : गोमुखासन करने की विधि , लाभ और सावधानियाँ

By Pooja | Yoga | Jun 01, 2020
आज हम आपको योग के गोमुखासन(Gomukhasan) के बारे में बताएंगे। 'गोमुख' का संस्कृत (Sanskrit)में अर्थ होता है 'गाय का मुख'। गोमुखासन बहुत ही सरल और लाभदायक होता है। इस आसन को गोमुखासन(Gomukhasan) इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इस आसन में बहुत हद तक पांव की स्थिति गोमुख के आकार जैसी होती है। यह आसन महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

गोमुखासन करने की विधि (Method of Gomukhasana)



  • सबसे पहले खुली जगह में जाकर चटाई (Mat)बिछाएं।

  • चटाई में बैठते वक़्त अपने दोनों पैरों को आगे की तरफ फैलाएं तब बैठे। बैठकर अपने हाथो को बगल में रखें।

  • यह करने के बाद अपने बाएं पांव को घुटने (Knee)से मोड़ें और दाएं नितंब के सामने से जमीन पर लगा ले।

  • यह प्रक्रिया दाएं पांव(Left leg) के साथ भी करे। दाएं पांव को घुटने से मोड़े और बाएं पैर के ऊपर से ले जाएं और दाईं एड़ी को बाएं नितंब के सामने रखे।

  • अब अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाएं और कोहनी से मोड़े एवं पीछे (back) की तरफ लाकर कंधों से नीचे लाएं।

  • दाएं बांह को उठाएं और उसे कोहनी से मोड़े और साथ ही ऊपर की तरफ ले जाकर पीछे पीठ(spine) पर ले जाएं।

  • दोनों हाथो की अंगुलियों को पीठ (spine)के पीछे ऐसे रखें की एक दुसरे को एक दुसरे में गूंथ लें।

  • अपने सर (head) को अपनी कोहनी पर टिकाएं और धकेलने को कोशिश करे।

  • कोशिश करे की अपने सर(head) को आगे रखें।

  • यह आसन (Asana) को तीन चार बार करे।


गोमुखासन के लाभ (Benefits of Gomukhasan)



  • गोमुखासन अस्थमा(Asthma) के लिए बहुत ही लाभदायक योगाभ्यास है। यह श्वसन से सम्बंधित रोगों में सहायता करता है। यह छाती को पुष्ट बनाकर फेफड़ों की सफाई करते हुए इसकी क्षमता को बढ़ाता है।

  • गोमुखासन बाहों की मजबूत (strong) कर पीठ एवं बांहों की पेशियां को मजबूत बनाना हो तो इस आसन का अभ्यास जरूर करें।

  • अगर आप कूल्हे के दर्द (pain) से परेशान हैं तो इस आसन का अभ्यास नियमित करें।

  • गोमुखासन रीढ़ को सीधा रखने के साथ साथ इसको मजबूत(strong) भी बनाता है।

  • गोमुखासन(Gomukhasan) बवासीर के लिए बहुत ही उपयोगी योगाभ्यास माना जाता है।

  • इस आसन के नियमित अभ्यास से कंधा जकड़न, गर्दन में दर्द, तथा सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस मे लाभ (benefit)मिलता है ।

  • लैंगिक परेशानियों को दूर करता है। यह स्त्री (female)रोगों के लिए भी बहुत लाभदायक है।

  • इसके नियमित अभ्यास से कमर दर्द(pain) के परेशानियों से राहत मिलती हैं।

  • गोमुखासन (Gomukhasan)यकृत एवं गुर्दे को स्वस्थ रखने में बहुत ही बेहतरीन भूमिका निभाता है।

  • यह आसन करने से शरीर सुड़ोल एवं लचकदार(streach) बनता हैं।

  • गोमुखासन पैंक्रियास को उत्तेजित करता है और मधुमेह के कण्ट्रोल(control) में सहायता करता है।


गोमुखासन के सावधानी (Gomukhasana precautions)



  • अगर आपके Hemorrhoids से खून बह रहा हो तो इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।

  • हाथ और पैर में यदि दर्द(pain) हो तो इस आसन का अभ्यास न करें।

  • रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हो तो इस योग (yoga)को बिल्कुल न करें।

  • अगर पीठ के पीछे(back) हाथ बंधने में परेशानी हो रही हो तो जोर जबरदस्ती न करें।

  • घुटनों (knee) में दर्द होने पर इसका अभ्यास न करें।

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