[UTET EXAM] - Animalia Kingdom - cells, body, function, process.......
By Kamakshi Sharma | Science | Oct 04, 2018

Animalia Kingdom
जंतु जगत को दो उप समूह में विभाजित किया गया है एककोशिकीय प्राणी और बहुकोशिकीय प्राणी इस जगत के जीव भोजन के लिए परोक्ष तथा अपरोक्ष रूप से पौधो पर निर्भर रहते हैं अपने भोजन को एक आंतरिक गुहिका में पचाते हैं और भोजन को ग्लाइकोजन अथवा वसा के रूप में संग्रहण करते हैं| उच्च कोटि के जीवो में विस्तृत संवेदी तथा तंत्रिका पेरक विकसित होते हैं इनमें अधिकांश चलन करने में सक्षम होते हैं बहु कोशिकीय जंतु को दस भागो में विभाजित किया गया है|
1. Porifera
- पोरिफेरा का अर्थ छिद्र युक्त जीवधारी हैं|
- यह अचल जीव है जो किसी आधार से चिपके रहते हैं|
- इनके पूरे शरीर में अनेक प्रकार के छिद्र पाए जाते हैं इन छिद्र के माध्यम से ही अपने शरीर में जल ऑक्सीजन का संचरण करते हैं|
- इनका शरीर कठोर आवरण तथा बाहरी कंकाल से ढका होता है इनकी शारीरिक संरचना अत्यंत सरल होती है|
- जिनमें उतत्को का विभेद नहीं होता इन्हें सामान्यतः स्पंज के नाम से जाना जाता है जो बहुधा समुद्री आवास में पाए जाते हैं
2. Coelenterata
- सिलेंटरेटा जलीय जीव जंतु होते हैं|
- इनमें एक देहगुहा पाई जाती है |
- इस प्रकार के जीवो का शारीरिक संगठन उत्तकीय स्तर का होता है|
- जातीय समूह में रहती हैं और कुछ एकांकी भी रहती हैं जैसे हाइड्रा, जेलीफिश ,समुद्री एनीमोन इसी के उदाहरण होते हैं|
3. Platyhelminthes
- इस वर्ग के जंतुओं की शारीरिक संरचना बहुत अधिक जटिल होती है|
- शरीर के दाएं और बाएं भाग की संरचना समान होती है इसलिए उन्हें दीव्पार्श्व भी कहा जाता है|
- इनका उत्तक विभेदन कोशिकीय स्तर से होता है|
- इसमे दोनों प्रकार के स्तर बनते हैं इससे शरीर के कुछ नये अंगों का निर्माण भी होता है|
- इसमें वास्तविक देहगुहा का अभाव होता है जिसने सुविकसित अंग व्यवस्थित हो सके|
- इनका शरीर चपटा होता है इसलिए इन्हें चपटे कृमि भी कहा जाता है|
4. Nematoda
- इस प्रकार के जंतु को त्रिकोरक जंतु कहा जाता है|
- तथा इनमें भी दिवपार्शव सममिति पाई जाती है लेकिन इनका शरीर बेलनाकार होता है |
- इनके देहगुहा को कुटसीलोम कहते हैं |
- यह अधिकांश परजीवी होते हैं इसलिए ये दूसरे जन्तुओ में रोग उत्पन्न करते हैं|
- इस प्रकार के अंग तंत्र पूर्ण विकसित नहीं होते हैं |
5. Annelida
- इस प्रकार के जंतु दिवपार्शव सममिति एवं त्रिकोरक जंतु होते हैं|
- इनमें वास्तविक देहगुहा भी पाई जाती हैं|
- इससे वास्तविक अंग शारीरिक संरचना में निहित रहते हैं
- ऐसे अंगों में व्यापक विभिन्नता होती है यह विभिनता इनके शरीर के सिर से पूँछ तक एक के बाद एक खंडित रूप में उपस्थित होती है|
6. Arthropoda
- आर्थोपोडा जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ माना गया है|
- इसमें दिवपार्शव सममिति पाई जाती है और शरीर खंड युक्त होता है|
- इनमें खुला परिसंचरण तंत्र पाया जाता है|
- इसकी देव गुहा रक्त से भरी होती है इन में जुड़े हुए पैर पाए जाते हैं उदाहरण के लिए जान सकते हैं जैसे:- झींगा, तितली, मक्खी मकड़ी केकड़े बिछू मकोड़े इत्यादि
7. Mollusca
- इनमे भी दिवपार्शव सममिति पाई जाती है |
- अधिकांश मोलस्का जंतुओं में कवच पाया जाता है|
- इनकी देहगुहा बहुत कम होती है तथा शरीर में थोड़ा विखंडन होता है|
- इनमें खुला सवहन तंत्र तथा उत्सर्जन के लिए गुर्दे जैसी संरचना पाई जाती है| उदहारण के लिए घोघा ,सीप इत्यादि|
Other Related Links:-
Share this Post
(इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले)Posts in Other Categories
Latest Posts
ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ क्रिस्टिआनो रोनाल्डो सीआर7 ...
Jun 15, 2025
Dr. Rajendra Prasad Biography - in Hindi
Jun 15, 2025
Dr. Rajendra Prasad Biography
Jun 15, 2025